दिल्ली बॉर्डर के बंद रास्ते खुलवाने का मामला- सरकार की हाई पावर कमेटी से बातचीत को किसान तैयार

Edited By Shivam, Updated: 16 Sep, 2021 06:34 PM

matter of opening closed roads of delhi border farmers ready to talk

दिल्ली की सीमाओं पर बंद रास्ता खुलवाने के लिए बनाई गई हाई पावर कमेटी से किसान बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन किसानों का यह भी कहना है कि उन्होंने कोई रास्ता बंद नहीं कर रखा, रास्ते तो सरकार और पुलिस ने बंद कर रखे हैं। ऐसे में सरकार को उन लोगों से...

बहादुरगढ़ (प्रवीण धनखड़): दिल्ली की सीमाओं पर बंद रास्ता खुलवाने के लिए बनाई गई हाई पावर कमेटी से किसान बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन किसानों का यह भी कहना है कि उन्होंने कोई रास्ता बंद नहीं कर रखा, रास्ते तो सरकार और पुलिस ने बंद कर रखे हैं। ऐसे में सरकार को उन लोगों से बातचीत करनी चाहिए, जिन्होंने यह रास्ते बंद कर रखे हैं।

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टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि वह तो सिर्फ नेशनल हाईवे पर बैठे हुए हैं। लेकिन पुलिस ने दिल्ली आने जाने वाले छोटे रास्ते तक बंद कर रखे हैं। इन्हीं छोटे रास्तों को खुलवाने के लिए किसान कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिल चुके हैं लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर जो किलेबंदी की गई है। वह किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस और सरकार ने की है। किसान इस बात से भी बेहद खफा है कि सरकार बंद रास्तों पर तो बातचीत करने के लिए कमेटी बना रही है, लेकिन कृषि कानूनों पर बात करने को तैयार नहीं है।

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किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की जान को बेहद सस्ती समझती है। सरकार खुद रास्ते बंद कर लोगों को परेशान कर रही है। 26 जनवरी से पहले टिकरी बॉर्डर के रास्ते से एंबुलेंस को किसान बेहतर ढंग से रास्ता देते थे और खुद बेरिकेड्स हटाकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमा में प्रवेश करवाते थे, लेकिन पुलिस की किलेबंदी के कारण अब यहां पैदल राहगीर को भी जाने के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा जबकि टिकरी बॉर्डर के पास स्थित बहादुरगढ़ के आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र पार्ट वन और पार्ट 2 की फैक्ट्रियों तक सामान ढुलाई करने और श्रमिकों पर आने जाने के लिए किसानों ने एक तरफ का रास्ता पहले से ही खाली कर रखा है।

किसान नेता परगट सिंह का कहना है कि किसान किसी को परेशान नहीं करता बल्कि सब का सम्मान और उनकी समस्या का समाधान चाहते हैं। हालांकि दिल्ली की सीमाओं से आंदोलन शिफ्ट करने के सवाल पर उनका कहना है कि वह तीनों कृषि कानून रद्द होने तक आंदोलन जारी रखेंगे और मरते दम तक आंदोलन को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं करेंगे।

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बता दें कि कल हरियाणा सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है। जो किसानों से बातचीत करके दिल्ली की सीमाओं पर बंद पड़े रास्तों को खुलवाने की दिशा में बातचीत करेगी, लेकिन किसान दिल्ली में ना जा सकें  इसलिए पुलिस ने रास्ते में बैरिकेडिंग कर रखी है। कंक्रीट के बड़े पत्थर लगा रखे हैं। इतना ही नहीं सड़कों पर कीलें तक बिछाई गई हैं और कच्चे रास्तों को भी पूरी तरह से बंद कर रखा है। जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

इन रास्तों को खुलवाने के लिए उद्योगपति और आम लोगों ने मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था इसीलिए हरियाणा सरकार एक्टिव मोड में दिखाई दे रही है। अब रास्ता खुलवाने के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है। अब देखना यह होगा कि किसानों और सरकार के बीच होने वाली बातचीत से आम लोगों और उद्योगपतियों को राहत मिलती है या नहीं।
 

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