बगैर पर्ची-खर्ची के नौकरियां और गरीब कल्याण की योजनाएं बनी मनोहर की ताकत, रोड शो में दिख रही छाप

Edited By Isha, Updated: 22 May, 2024 06:45 PM

manohar s strength became jobs and poor welfare schemes

दानवीर राजा कर्ण की नगरी करनाल  जीटी रोड स्थित महाभारत कालीन इस क्षेत्र में चुनावी पारा चरम पर है। लोकसभा के चुनावी रण में एक तरफ भाजपा के दिग्गज मनोहर लाल हैं, जिन्हाेंने करनाल से लगातार दो विधानसभा

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): दानवीर राजा कर्ण की नगरी करनाल  जीटी रोड स्थित महाभारत कालीन इस क्षेत्र में चुनावी पारा चरम पर है। लोकसभा के चुनावी रण में एक तरफ भाजपा के दिग्गज मनोहर लाल हैं, जिन्हाेंने करनाल से लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतकर साढ़े नौ साल तक प्रदेश में सरकार चलाई है तो दूसरी ओर कांग्रेस के युवा दिव्यांशु बुद्धिराजा उन्हें चुनौती देते हुए मुकाबले में आने की कोशिश कर रहे हैं।

एनसीपी-इनेलो के संयुक्त उम्मीदवार मराठा वीरेंद्र वर्मा भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। मोदी नाम और मनोहर काम को ब्रह्मास्त्र बना रही भाजपा लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार कमल खिलाकर हैट-ट्रिक बनाने को लेकर आश्वस्त है, जबकि प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और एनसीपी एंटी इनकंबेसी (सत्ता विरोधी लहर) को ढाल बनाते हुए बेरोजगारी, किसान आंदोलन और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे उठा रहे हैं।

 

हरियाणा की नौ लोकसभा सीटों पर जहां भाजपा प्रत्याशी मोदी मैजिक के सहारे मैदान में हैं, वहीं करनाल में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के काम बड़ा मुद्दा बने हुए हैं। रोड-शो पर फोकस कर रहे मनोहर लाल के कार्यक्रमों में 'बगैर पर्ची-खर्ची के नौकरी', 'सबका साथ-सबका विकास' और गरीब कल्याण की योजनाओं के बैनर-पोस्टर लहराते समर्थक उनके कामों पर मुहर लगाते नजर आते हैं। मनोहर लाल अपने रोड शो और जनसभाओं में कह रहे हैं कि कानूनी पेचीदगियों में जो भर्तियां फंसी रह गई हैं, जिन्हें भर्ती रोको गैंग ने फंसाया है, उन्हें लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद क्लीयर करवाकर युवाओं को जवाइन करवाया जाएगा।

 

घरौंडा में बस अड्डे पर खड़े रामकुमार कहते हैं कि लंबी राजनीतिक पारी खेलने के बावजूद मनोहर लाल का दामन पूरी तरह पाक साफ है, जबकि पहले की सरकारों में भ्रष्टाचार जगजाहिर है। एक समय था जब मुख्यमंत्री निवास से नौकरियां विधायकों में बंटती थी, लेकिन मनोहर सरकार में मेरिट से नौकरियां मिलने पर युवाओं का भरोसा बढ़ा है। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और क्षेत्रवाद पर रोक लगी है। वहीं, पानीपत के सेक्टर-11 निवासी महेंद्र  बताते हैं कि सरकारी सेवाओं व योजनाओं के लाभ घर बैठे मिलने लगे हैं। हक लेने के लिए किसी के आगे गिड़गिड़ाना नहीं पड़ता। युवाओं को रोजगार के लिए सिफारिशें नहीं ढूंढ़नी पड़ती। व्यवस्था परिवर्तन से सुशासन और सुशासन से सेवा के संकल्प के परिणामों की लंबी फेहरिस्त है।

 

 करनाल के ओंगद निवासी सुभाष राणा और अनकपाल कहते हैं कि चुनाव इतना भी आसान नहीं है। हार-जीत को लेकर अभी कुछ नहीं कह सकते, लेकिन मुकाबला तगड़ा होगा। पानीपत के गांव रिसालू में जब मनोहर लाल का रोड शो पहुंचा तो वहां कुछ ऐसे बच्चे और उनके परिवार वाले पोस्टर लेकर खड़े थे, जिनकी बिना पर्ची और बिना पर्ची के नौकरियां लगी हैं। मनोहर लाल और उनके साथ के लोग यह सीन देखगर गदगद हो गए। नौकरी लगे इन बच्चों की दादी लोटे में दूध लेकर आई। मनोहर लाल को पीने के लिए दिया। भावुक मनोहर लाल भी स्वयं को नहीं रोक सके।

 

मनोहर के लिए संबल बने यह काम

 

  • पढ़ी-लिखी पंचायतें, 50 प्रतिशत पंचायत प्रतिनिधि महिलाएं
  • आयुष्मान चिरायु और निरोगी हरियाणा जैसी योजनाओं से गरीबों को हर साल पांच लाख तक का मुफ्त इलाज और टेस्ट
  • बगैर खर्ची-पर्ची के योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी
  • एमएसपी पर सबसे ज्यादा फसलों की खरीद
  • आटो अपील सिस्टम से राइट टू सर्विस एक्ट सही मायने में लागू
  • सीएम विंडो, डायल 112 और अंत्योदय सरल पोर्टल जैसी सेवाएं
  • परिवार पहचान पत्र से घर बैठे मिला योजनाओं का लाभ
  • घर बैठे बन रहे बीपीएल राशन कार्ड, पेंशन, जाति एवं आय प्रमाणपत्र
  • अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण
  • आनलाइन तबादलों से सरकारी कर्मचारियों से खत्म हुआ भेदभाव
  • सरकारी स्कूलों के बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए टेबलेट

 

 

केंद्र सरकार की योजनाओं का भी लाभ

 

  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त राशन
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में मिले मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन ने महिलाओं को धुएं से दिलाई मुक्ति
  • हर घर नल से जल योजना से ढाणियों में भी पहुंचा पेयजल
  • केरोसिन (मिट्टी के तेल) से मिली मुक्ति
  • हर घर शौचालय
  • शहरों और गांवों में गरीबों को छत

  

पिछली बार एकतरफा थे परिणाम

 

पिछले लोकसभा चुनावों में मोदी लहर का फायदा उठाते हुए भाजपा के निवर्तमान सांसद संजय भाटिया ने एकतरफा जीत दर्ज की थी। यूं तो इस बार दो महिलाओं सहित 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, कांग्रेस प्रत्याशी दिव्यांशु बुद्धिराजा और एनसीपी प्रत्याशी मराठा वीरेंद्र वर्मा के बीच है। मनोहर लाल को न केवल जनमानस से जुड़ाव का लाभ मिल रहा है, बल्कि केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ करनाल को सीएम सिटी की पहचान उनके पक्ष में है। दिव्यांशु बुद्धिराजा की राह में बाहरी प्रत्याशी होने का ठप्पा बड़ा अवरोधक है। 2009 और 2014 में भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके मराठा वीरेंद्र वर्मा के लिए मुश्किल यह है कि एनसीपी का यहां कोई अधिक प्रभाव नहीं है। जजपा प्रत्याशी देवेंद्र कादियान प्रमुख दलों में इकलौते जाट प्रत्याशी हैं, लेकिन वह अभी तक ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं।

 

शाह, नड्डा,राजनाथ की रैलीयों से बना माहौल

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ,राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैलियों से अलग माहौल बना है। इससे उत्साहित भाजपाई निवर्तमान सांसद संजय भाटिया के रिकार्ड को तोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में 70 प्रतिशत से अधिक वोट लेते हुए कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को बुरी तरह हराया था। संजय भाटिया ने कुल नौ लाख 11 हजार 594 वोट लेते हुए कुलदीप शर्मा को छह लाख 56 हजार 142 वोटों से हराया था, जो देश में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी जीत थी।

 

विधायकों के लिए अग्नि परीक्षा

 

करनाल लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से पांच में भाजपा के विधायक हैं, तीन कांग्रेस के और एक निर्दलीय। हालांकि करनाल से विधायक मनोहर लाल अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं और रिक्त हुई सीट पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की ओर से इंद्री से विधायक राम कुमार कश्यप, घरौंडा के विधायक हरविंदर कल्याण, पानीपत ग्रामीण के विधायक और राज्यमंत्री महिपाल ढांडा तथा पानीपत शहर के विधायक प्रमोद कुमार विज जीत का अंतर बढ़ाने के लिए पूरा दम लगाए हुए हैं। वहीं, असंध से कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी, इसराना (एससी) से कांग्रेस विधायक बलबीर सिंह और समालखा से कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छोकर के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा से कम नहीं। नीलोखेड़ी (एससी) से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर पर भी सभी की नजरे हैं।

 

 

 

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