किसानों की अधिग्रहित सरकारी जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे, कृषि मंत्री ने दी प्रतिक्रिया

Edited By Shivam, Updated: 09 Nov, 2020 06:53 PM

illegal occupation of farmers  acquired government land

दादरी में 46 वर्ष पहले सरकार ने किसानों की उपजाऊ जमीन को अनुसूचति जाति के लिए कॉलोनी विकसित करने के लिए अधिग्रहित किया था। साढ़े चार दशक बाद भी जमीन का उपयोग नहीं किया गया, जिसके कारण अवैध कब्जे होते जा रहे हैं। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित दादरी के...

दादरी (अशोक भारद्वाज): दादरी में 46 वर्ष पहले सरकार ने किसानों की उपजाऊ जमीन को अनुसूचति जाति के लिए कॉलोनी विकसित करने के लिए अधिग्रहित किया था। साढ़े चार दशक बाद भी जमीन का उपयोग नहीं किया गया, जिसके कारण अवैध कब्जे होते जा रहे हैं। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित दादरी के किसानों ने उपायुक्त राजेश जोगपाल को ज्ञापन देते हुए सरकार व प्रशासन से जमीन वापस देने की गुहार लगाई है।

वहीं इस मामले को कृषि मंत्री जेपी दलाल व भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह के संज्ञान में लाया गया है, ताकि यह भूमि उपयोग न होने पर अब किसानों को वापिस दी जाए। क्योंकि किसानों के मुताबिक पीछे कई स्थानों पर अधिकृत की गई भूमि उन्हें वापिस दी गई है। दादरी में इस 46 एकड़ जमीन के लिए भी मालिकाना हक दावा करने वाले किसानों ने मांग की है कि उन्हें उनकी भूमि वापिस दी जाए और वे सरकार की अधिकृत राशि को ब्याज समेत वापिस सरकार को देने के लिए तैयार हैं।

जमीन का मालिकाना हक रखने वाले किसान भूपेंद्र जैन, विमल चंद व संदीप सिंह  सहित अनेक किसानों ने कहा कि 46 वर्ष पहले नगर सुधार मंडल चरखी दादरी ने एक रुपया आठ पैसे प्रति गज के हिसाब से किसानों की 46 एकड़ जमीन को कौडिय़ों के दामों में अधिग्रहित किया। किसान अपनी जमीन देना नहीं चाहते थे, मगर सरकार ने जबरन अधिग्रहण किया था। जमीन पर अनुसचित जाति के लिए कॉलोनी विकसित करने का प्लान था, मगर आज 46 वर्ष बाद भी जमीन का उपयोग नहीं किया गया है, जिसके लिए सरकार की तरफ से पांच वर्ष का समय निर्धारित किया गया था। जब पांच साल में एक ईंट तक नहीं लगी तो सरकार ने नियमों में संशोधन कर अवधि बढ़ा दी। 

इस मामले बोलते हुए जमीन का मालिकाना हक रखने वाले किसान भूपेंद्र जैन, विमलचंद व संदीप सिंह ने कहा कि जमीन को नीलामी के जरिए बेचने का गैर कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई जो इसकी मूल योजना के खिलाफ था। जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। उस समय उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी थी। उच्च न्यायालय ने भी नीलामी को कन्फर्म नहीं किया था। एक ओर याचिका के चलते कोर्ट ने नीलामी प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया था। उसके बाद उच्च न्यायालय ने 11 अक्तूबर 1983 को अनुसूचित वर्ग कालोनी बनाने की योजना रद कर दी। जिसका एक आशय यह भी था कि अधिकृत जमीन उसके मूल मालिकों को लौटा दी जाए।

इसके बाद सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। इधर सरकार ने संबंधित नियमों में बदलाव करते हुए कालोनी बनाने की अवधि 28 अक्तूबर 1986 तक दो साल बढ़ा दी। मगर इन दो सालों में योजना सिरे नहीं चढ़ी तथा कालोनी के नाम पर ईंट तक नहीं लगी। सरकार ने नगर सुधार मंडल को योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए तीन बार समय दिया। लेकिन तीनों बार योजना पर काम शुरू नहीं हुआ। जिसके कारण किसानों से अधिग्रहित की गई भूमि का न कोई उपयोग हो पाया है। अब किसानों ने सरकार से अधिग्रहित की गई जमीन को वापस देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नगर परिषद औने-पौने भाव में इस जमीन को बेचने में लगी हुई है और कुछ जमीन लोग कब्जा करने में लगे हुए हैं। इसलिए जमीन पर सरकार पूर्ण रूप से संज्ञान लेकर किसानों को वापसी दी जाए और दिन प्रति दिन बढ़ रहे कब्जे को रोकने का काम किया जाए,और नगर परिषद ने कितनी भूमि किन किन को बेची है इसकी भी जांच की जाए।

जब इस मामले में पत्रकारों ने हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस मामले को वे जल्द ही संज्ञान लेंगे। कहा कि चाहे भिवानी हो या दादरी कहीं पर भी सरकारी जमीनों पर कब्जे नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि यदि दादरी में किसानों ने इस बात को लेकर आवाज उठाई है तो वे उनकी इस समस्या को जरूर सुनेंगे और सरकार के संज्ञान में इस मामले को लाएंगे। कहा कि दादरी में किसानों की 46 एकड़ अधिकृत सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!