Edited By Manisha rana, Updated: 01 Jul, 2024 04:24 PM
पानीपत जिले के मतलौडा कस्बे में छोटे भाई को अपने बड़े भाई की मौत का इतना सदमा लगा कि वह खुद की मौत का इंतजार करने लगा। उसने करीब 45 दिन पहले खुद को शौचालय में बंद कर लिया था। कभी कोई खाना दे देता तो खा लेता, नहीं तो खाली पेट ही समय गुजारता।
पानीपत (सचिन शर्मा) : पानीपत जिले के मतलौडा कस्बे में छोटे भाई को अपने बड़े भाई की मौत का इतना सदमा लगा कि वह खुद की मौत का इंतजार करने लगा। उसने करीब 45 दिन पहले खुद को शौचालय में बंद कर लिया था। कभी कोई खाना दे देता तो खा लेता, नहीं तो खाली पेट ही समय गुजारता। सुरेंद्र ने बताया कि उसने कई दिन तक टूंटी का गंदा पानी पिया। वहीं दूसरा भाई मानसिक रूप से बीमार है। उसे दुनिया की कोई जानकारी नहीं है। वह भी सालों से एक ही चारपाई पर भूखा-प्यासा पड़ा था। स्थानीय निवासियों ने इसकी सूचना जनसेवा दल संगठन को दी।
सूचना मिलने के बाद चमन गुलाटी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। वहां पहुंचकर दोनों भाइयों का रेस्क्यू किया गया। दोनों को एंबुलेंस से सीधे संगठन के 'अपना आशियाना' लाया गया। उन्हें नहलाया-धुलाया गया और खाना खिलाया गया।
4 भाइयों में एक लापता, एक की हो चुकी मौत
बताया जा रहा है कि कि ये चार भाई थे। जिनमें विजय, अशोक, राजकुमार और सुरेंद्र है। एक भाई अशोक लोन एजेंट के जाल में फंस गया और कई ग्रामीणों से पैसे निवेश करवा लिए। इससे अशोक कर्जदार हो गया। इसके बाद वह कहीं भाग गया। उसका कोई पता नहीं चल पाया। एक भाई राजकुमार हिमाचल में हैंडलूम का काम करने लगा। वह भाइयों के खाने का इंतजाम करता था। तीन महीने पहले वह गांव आया था। कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई। छोटे भाई सुरेंदर ने अंतिम संस्कार किया। इसके बाद सुरेंदर ने खुद को शौचालय में बंद कर लिया। सबसे बड़ा भाई विजय मानसिक रूप से बीमार है। इनके माता-पिता की मौत हो चुकी है।
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