‘हाथ का साथ’ छोडऩे के मूड में नहीं हुड्डा!

Edited By Isha, Updated: 11 Aug, 2019 10:50 AM

hooda is not in the mood to leave  hath ka saath

हरियाणा में इन दिनों कांग्रेस के लिहाज से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर काफी सियासी उबाल आया हुआ है। 18 अगस्त को रोहतक में उनकी प्रस्तावित परिवर्तन महारैली ने ऐसी हलचल पैदा की है

डेस्कः हरियाणा में इन दिनों कांग्रेस के लिहाज से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर काफी सियासी उबाल आया हुआ है। 18 अगस्त को रोहतक में उनकी प्रस्तावित परिवर्तन महारैली ने ऐसी हलचल पैदा की है जिसे लेकर हर कोई अपने-अपने तरीके से न केवल कांग्रेस की राजनीति के मायने निकालने की कोशिश में है बल्कि इस रैली को हुड्डा के राजनीतिक भविष्य से भी जोड़ा जा रहा है। भले ही राजनीतिक गलियारों में इन दिनों हर किसी की चर्चा का विषय केवल हुड्डा ही बने हुए हैं। चाहे कोई कांग्रेसी हो या विरोधी दल का नेता अथवा सियासी पर्यवेक्षक। हर किसी की निगाह हुड्डा की 18 अगस्त की रैली पर ही टिकी है। 

मगर इन तमाम चर्चाओं के बीच इस रैली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा द्वारा जिस तरह से प्रदेश भर में कार्यकत्र्ता सम्मेलनों का दौर शुरू किया गया है और ये कार्यकत्र्ता सम्मेलन ज्यादातर संबंधित जिलों के कांग्रेस भवनों में आयोजित किए जा रहे हैं उससे कहीं न कहीं ऐसे संकेत भी साफ मिलते दिख रहे हैं कि हुड्डा अभी हाथ का साथ छोडऩे में जल्दबाजी नहीं करना चाहते। 
भले ही उन पर उनके समर्थकों व कार्यकत्र्ताओं का भावी राजनीति को लेकर कितना ही दबाव क्यों ना हो? उल्लेखनीय है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा हर जिले में होने वाली अपनी कार्यकत्र्ता बैठक के लिए कांग्रेस भवन को ही तरजीह दे रहे हैं,जिन स्थानों पर पार्टी कार्यालय नहीं हैं या फिर उन कार्यालयों में बैठक के लिहाज से स्थान कम है,वहां पर ही वे अन्य स्थानों पर बैठकें कर रहे हैं, जबकि अधिकांश स्थानों पर कांग्रेस भवनों में ही बैठकें आयोजित की जा रही हैं। 

असमंजस में कार्यकत्र्ता...क्या होगा 18 को?
18 अगस्त की महारैली के संदर्भ में कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक में कार्यकत्र्ता सम्मेलन रखा था। इसमें बेशक बैनर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी व पार्टी प्रभारी गुलाम नबी आजाद की तस्वीरें तो नजर आईं मगर पिता-पुत्र की जुबान से ये नाम भाषण के वक्त गायब दिखे। इन्हें लेकर भी सियासी रूप से माना जाने लगा कि संभवत: हुड्डा अब कांग्रेस से अलग होने की स्थिति में हैं मगर पर्यवेक्षक इस बात को समझने की कोशिश में हैं कि यदि हुड्डा की कांग्रेस से नाराजगी है तो फिर उनके द्वारा जारी बैठकों में जिलों के ज्यादातर कांग्रेस भवन में ही बैठकें करना और सुनिश्चित करना कहीं न कहीं हुड्डा का ये संकेत हो सकता है कि वह पार्टी से बाहर नहीं हैं। इन परिस्थितियों से हुड्डा समर्थक कार्यकत्र्ता पूरी तरह असमंजस में हैं कि आखिर 18 को होने क्या वाला है?

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