Edited By Manisha rana, Updated: 05 May, 2025 07:38 AM

मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में सोमवार को दोपहर 2 बजे हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में होगी।
चंडीगढ़ (बंसल) : मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में सोमवार को दोपहर 2 बजे हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में होगी। इसमें साल 2025-26 के लिए तैयार राज्य की नई शराब नीति को मंजूरी मिल सकती है। चंडीगढ़ हरियाणा की नई शराब नीति बनकर तैयार है। इस बार राज्य की नई शराब नीति से करीब 14 हजार करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित होने का अनुमान है। इस बार शराब पॉलिसी में लीकेज रोकने, भ्रष्टाचार पर अंकुश और अवैध शराब की तस्करी रोकने के प्रावधान करने के साथ ही राजस्व बढ़ाने की व्यवस्था की गई है।
वहीं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए होने वाली संयुक्त पात्रता परीक्षा (सी.ई.टी.) की तारीख को भी मंजूरी प्रदान की जा सकती है। हालांकि सरकार पहले ही कह चुकी है कि मई के अंत में यह परीक्षा हो सकती है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन हिम्मत सिंह इस परीक्षा की तैयारियों का पूरा प्रारूप सरकार को भेज चुके है जिस पर सिर्फ मुहर लगनी बाकी है।
महंगी हो सकती है शराब
मंत्रिमंडल द्वारा नई आबकारी नीति को मंजूरी मिलने के बाद हरियाणा में शराब के रेट बढ़ सकते हैं। शराब नीति में प्रदेश में ठेकों की संख्या में बढ़ौतरी का कोई प्रस्ताव नहीं है। आबकारी एवं कराधान विभाग में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सभी आबकारी एवं कराधान अधिकारियों और उप-आबकारी एवं कराधान अधिकारियों के कार्यालयों में सी. सी. टी.वी. कैमरे लगाने का निर्णय लिया गया है। 14 हजार करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य पूरा करने को देसी-विदेशी शराब की कीमतों में मामूली बढ़ौतरी की जा सकती है। प्रदेश में करीब 2400 शराब ठेके हैं। ठेकों की नीलामी खुली बोली से की जाएगी। 2 करोड़ रुपए से अधिक कर वाले मामलों में आबकारी एवं कराधान अधिकारियों की जगह उप-आबकारी एवं कराधान अधिकारियों को नोटिस जारी करने की पावर देने पर भी बैठक में विचार होगा।
वहीं हरियाणा जी.एस.टी. अधिनियम 2017 की धारा-61 तहत संज्ञान के मामलों में जांच करने के लिए सक्षम अधिकारी आबकारी एवं कराधान अधिकारी को बनाया जा चुका है। इस पर मंत्रिमंडल की मुहर लगनी बाकी है। करदाताओं की परेशानियों को कम करने के लिए जांच अब संयुक्त आबकारी एवं कराधान आयुक्त (जे.ई.टी.सी.) के पूर्व अनुमोदन के बाद शुरू की जा सकेगी। 3 से 4 वर्षों के ऑडिट को एक ही बार में किया जाएगा ताकि व्यापारियों को विभाग में बार-बार चक्कर न लगाने पड़ें। विशेष लेखा परीक्षण के लिए चार्टर्ड अकाऊंटैंट और कास्ट अकाऊंटैंट का पैनल बनाया जाएगा।
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