बाहरी राज्यों से लाया जा रहा था चावल, किसानों ने रोके ट्रक, प्रशासन की चुप्पी खड़े कर रही है सवाल

Edited By vinod kumar, Updated: 17 Oct, 2020 05:33 PM

कहावत है कि मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त। ऐसा ही मामला आज फतेहाबाद के रतिया में देखने को मिला। आज सुबह चावलों से भरे आधा दर्जन ट्रकों ने जब रतिया में प्रवेश किया तो वहां मौजूद किसानों ने उन्हें रोक लिया। किसानों को आशंका थी कि इन ट्रकों में जो चावल लाए...

फतेहाबाद (रमेश): कहावत है कि मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त। ऐसा ही मामला आज फतेहाबाद के रतिया में देखने को मिला। आज सुबह चावलों से भरे आधा दर्जन ट्रकों ने जब रतिया में प्रवेश किया तो वहां मौजूद किसानों ने उन्हें रोक लिया। किसानों को आशंका थी कि इन ट्रकों में जो चावल लाए जा रहे हैं वह बाहरी राज्यों से लाया गया है। किसानों ने जब ट्रक चालकों से पूछा तो पता चला कि यह चावल रतिया किसी फर्म ने बिहार और यूपी से मंगवाया और इन्हें रतिया के ही किसी शैलर में लगाया जाना था। 

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आशंका जब वास्तविकता में बदली किसानों में रोष फैल गया। आनन फानन में मौके पर पुलिस आई, लेकिन मामला पुलिस के अधिकारी क्षेत्र का नहीं था तो मौके पर मार्केट कमेटी सचिव को बुलाया गया, उन्होंने भी इसे अपने अधिकारी क्षेत्र का मामला न बताते हुए अपने हाथ खड़े कर लिए, फिर सेल्ज टेक्स विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, उन्होंने भी यह कहा कर बात खत्म कर दिया कि अगर ट्रकों में भरे माल संबंधी कागजात अगर उन्हें दिखा दिए जाते हैं तो वे भी कुछ नहीं कर पाएंगे। 

वहीं लोग यह जानकार हैरान हो रहे थे, ट्रकों में हजारों क्विंटल चावल भरा हुआ है, लेकिन इसका मालिक कौन है कोई सामने नहीं आ रहा, जिसे देख कर स्पष्ट हो रहा है कि मामले में कहीं बड़ा गड़बड़ झाला है।

मार्केट कमेटी के बाहर धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि वे पहले इस बात को प्रशासन को बता चुके हैं कि इलाके में बड़े पैमाने पर बाहरी राज्यों से चावल लाकर यहां के शैलरों में लगाया जा रहा है और सरकार और किसानों को चूना लगा जा रहा है। मगर शासन और प्रशासन शुर्तुमुर्ग की तरह अपनी गर्दन को रेत में दबाए मामले को नजर अंदाज कर रहे हैं। 

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अब जब किसानों ने रंगे हाथों मामला पकड़ा है तो शासन और प्रशासन का कोई अधिकारी अथवा नुमाइंदा सामने नहीं आ रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि मामले में जिम्मेवार कौन सा विभाग है या किसी विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही बनती है, यह भी नहीं मालूम। किसान नेताओं ने सीधे तोर पर इसमें प्रशासनिक अधिकारियों मिलीभगत का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मिलीभगत के इतने बड़े पैमाने पर यह गौरखधंधा नहीं हो सकता। मामले की जांच करवाई जानी जरूर है। वहीं इस मामले में अधिकारी कह रहे हैं मामले की जांच करवाई जा रही है, तथ्य सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

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