भाजपा सहित सभी विपक्षी दलों के लिए चुनौती साबित होगा विधानसभा चुनाव

Edited By Shivam, Updated: 16 Sep, 2019 12:46 PM

elections will prove to be a challenge for opposition parties including bjp

प्रदेश में आने वाला विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती साबित होने वाला है। सत्ताधारी भाजपा के लिए जहां 75 पार का लक्ष्य हासिल करना चुनौती माना जा रहा है,वहीं विपक्षी दलों के लिए एक-दूसरे से आगे निकलना एवं पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन...

प्रदेश में आने वाला विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती साबित होने वाला है। सत्ताधारी भाजपा के लिए जहां 75 पार का लक्ष्य हासिल करना चुनौती माना जा रहा है,वहीं विपक्षी दलों के लिए एक-दूसरे से आगे निकलना एवं पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करना किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं माना जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में जल्द ही चुनावी उद्घोष हो सकता है। इस बार चुनाव से पहले पिछले चुनाव की तुलना में सियासी सीन पूरी तरह से बदला है। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि भाजपा के लिए 75 पार का लक्ष्य प्राप्त करना चुनौती है। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 15 सीटों पर जीत दर्ज थी। 

पार्टी नेतृत्व में बदलाव के बाद पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करना कांग्रेस का इम्तिहान माना जा रहा है। पिछले चुनाव में इनैलो ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं इस बार शिअद के साथ गठबंधन टूटने के अलावा पार्टी दोफाड़ हो चुकी है। अभय चौटाला सहित इनैलो में अब 3 विधायक ही बचे हैं। ऐसे में चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना इनैलो के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अलावा पार्टी गठन के बाद पहला विधानसभा चुनाव लडऩे जा रही जजपा के लिए भी यह चुनाव बड़ी परीक्षा माना जा रहा है।

शैलजा व तंवर के चुनाव लडऩे की संभावना कम
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की वर्तमान अध्यक्ष कुमारी सैलजा व पूर्व अध्यक्ष डा. अशोक तंवर के इस बार विधानसभा चुनाव लडऩे की संभावना कम ही है। इन दोनों ही नेताओं ने पिछला संसदीय चुनाव अम्बाला व सिरसा से लड़ा था और वे दोनों ही हार गए थे। सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा स्वयं चुनाव न लड़कर पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार अभियान संभालेंगी जबकि तंवर के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक तंवर खुद ही इस बार विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं बताए जाते।

पिछले चुनाव में यह था परिदृश्य
अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 47 सीटों पर जीत मिली थी। इनैलो-शिअद गठबंधन को 20, कांग्रेस को 15,हजकां को 2, बसपा को 1 सीट पर जीत मिली थी। 5 आजाद विधायक बने थे। जींद उपचुनाव में जीत के बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 48 हो गई थी। हजकां के कांग्रेस में विलय के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 17 हो गई थी।

दिग्गजों के लिए परीक्षा है चुनाव
पिछले विधानसभा चुनाव से इस बार परिस्थितियां पूरी तरह भिन्न हैं। इसलिए सत्ताधारी भाजपा से लेकर इनैलो व कांग्रेस में बड़े चेहरों के लिए यह चुनाव चुनौती से कम नहीं है। भाजपा में भी कई बड़े दिग्गजों के लिए यह चुनाव बड़ी परीक्षा साबित हो सकते हैं। वहीं कांग्रेस सहित इनैलो,जजपा, हलोपा,बसपा, आम आदमी पार्टी व लोसुपा सहित अन्य दलों के दिग्गजों के लिए इस बार चुनावी राह आसान नहीं लग रहा है।      

प्रस्तुति: संजय अरोड़ा

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