Edited By Isha, Updated: 26 Oct, 2019 12:07 PM
जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीरजा कुलवंत ने कहा है कि आयुर्वेद के प्राचीन शास्त्रों में कम से कम 1.25 लाख नुस्खे हैं, जिन्हें परंपरागत ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी से एकत्र किया हुआ है। इनमें से प्रत्येक नुस्खे का उपयोग...
नूंह (ब्यूरो) : जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीरजा कुलवंत ने कहा है कि आयुर्वेद के प्राचीन शास्त्रों में कम से कम 1.25 लाख नुस्खे हैं, जिन्हें परंपरागत ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी से एकत्र किया हुआ है। इनमें से प्रत्येक नुस्खे का उपयोग 20 से 30 तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश शुक्रवार को आयुष विभाग द्वारा नूंह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (धनवंतरी जयंती धनतेरस) के अवसर पर लगाए गए शिविर का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ करने के उपरांत बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और हमें इसे देश में ही नहीं अपितु दुनिया भर में प्रचारित करना है। इसके प्रचार-प्रसार की अधिक जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम सभी को धनवंतरी देवता के आशीर्वाद से तंदुरुस्त जीवन मिलता है। आयुर्वेदिक प्रणाली द्वारा मनुष्य हर बीमारी से कम खर्चे में छुटकारा पा सकता है। उन्होंने बताया कि भगवान धनवंतरी आयुर्वेद के जनक है और भगवान धनवंतरी का जन्म धनतेरस के दिन हुआ था। इस दिन को सरकार द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
शिविर में आयुर्वेद, होम्योपैथी विशेषज्ञों द्वारा सभी रोगों की जांच व उपचार किया गया। शिविर में विशेष रूप से दर्द निवारण के लिए कपिंग, मर्म चिकित्सा, अग्निकर्म, पंचकर्म किया गया। बच्चों के बल, बुद्घि, आयु बढाने के लिए एक वर्ष के बच्चों के लिए स्वर्ण प्राशन करवाया गया। इस अवसर पर आयुष विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। जिला आयुर्वेद अधिकारी डा. मंजू बांगर ने बताया कि इस शिविर में योगासनों के बारे में जानकारी दी गई तथा 510 लोगों को निशुल्क इलाज व आयुर्वेदिक दवाईयां प्रदान की गई।
डा. मंजू ने कहा कि जिन असाध्य रोगों का ईलाज ऐलोपैथिक दवाओं के सेवन से संभव नहीं है। वे रोग आयुर्वेदिक तथा होमियोपैथिक दवाओं के सेवन से ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा यूनानी औषधी तथा योग भी असाध्य रोगों के लिए ईलाज के लिए लाभदायक हैं। खास बात यह है कि ऐलोपैथिक दवाओं से हमें तुरंत आराम तो मिल जाता है, लेकिन कुछ दवाओं का सेवन शरीर में गलत असर भी डालता है।
आयूष के माध्यम से मरीज का ईलाज तो होता ही है, साथ ही शरीर पर इसका कोई साईड-इफेक्ट भी नहीं होता। यही कारण है कि आज लोगों के बीच आयूष विभाग की लोकप्रियता बढ़ रही है। इस दौरान डा. मंजू ने उपस्थित न्यायिक अधिकारियों को कई औषधीय पौधों की भी जानकारी दी। इस अवसर पर सीजेएम नीरू कंबोज, एसएमओ डा. गोविंद शरण, डा. यशवीर गहलावत, डा. मनोज, डा. शसांक सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे।