Edited By Deepak Kumar, Updated: 15 Jul, 2025 01:32 PM

पानीपत 'हैंडलूम सिटी' के नाम से प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक शहर अब एक नई, हरित क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। वह शहर जिसने तीन प्रसिद्ध युद्धों के जरिए इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई, आज दुविश्व का सबसे बड़ा रीसाइक्लिंग केंद्र बनकर उभर रहा है।
डेस्कः पानीपत 'हैंडलूम सिटी' के नाम से प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक शहर अब एक नई, हरित क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। वह शहर जिसने तीन प्रसिद्ध युद्धों के ज़रिए इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई, दुविश्व का सबसे बड़ा रीसाइक्लिंग केंद्र बनकर उभर रहा है। पानीपत के उद्योग अब बिना रासायनिक रंग और जल-अपव्यय के, बेकार हो चुके कपड़ों को पुनर्चक्रित कर उन्हें वैश्विक स्तर पर उपयोगी बना रहे हैं। यह शहर प्रतिदिन लगभग 30 लाख किलोग्राम बेकार कपड़ों से पुनर्नवीनीकृत धागा तैयार करता है। इस धागे से बने उत्पाद न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों में भेजे जाते हैं, बल्कि इन्हें दुनियाभर के बाजारों में भी निर्यात किया जाता है।
PM मोदी ने 'मन की बात' में की पानीपत की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम की 120वीं कड़ी में पानीपत की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, "पानीपत ने अन्य शहरों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह शहर वैश्विक टेक्सटाइल पुनर्चक्रण का प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहा है।"
तुर्की से हटकर पानीपत को मिला खिताब
हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष और नॉर्दर्न इंडिया रोलर स्पिनर्स एसोसिएशन के सलाहकार प्रीतम सचदेवा के अनुसार, अब यह खिताब तुर्की से हटकर पानीपत को मिल गया है। उन्होंने बताया कि ज़िले की लगभग 200 कताई मिलों में प्रतिदिन करीब 300 टन बेकार कपड़ा पुनर्चक्रित किया जा रहा है।
इन देशों से मंगवाए जाते सस्ते दामों पर पुराने कपड़े
एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि जर्मनी, स्पेन, बेल्जियम, इटली, फ्रांस, कनाडा, बांग्लादेश और अमेरिका जैसे देशों से सस्ते दामों पर पुराने कपड़े मंगवाए जाते हैं। इन चिथड़ों को धागे में बदला जाता है, जिससे स्नान मैट, चादरें, बेड कवर, कालीन, कंबल, शॉल, पर्दे जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। गुप्ता ने यह भी बताया कि पानीपत में पुनर्नवीनीकृत यार्न का व्यवसाय करीब 25 साल पहले शुरू हुआ था। पहले हर यूनिट प्रतिदिन लगभग 15 टन यार्न बनाती थी, और अब लगभग 30-40 नई इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। इस क्षेत्र की कताई मिलें लगभग 70,000 लोगों को रोज़गार भी प्रदान कर रही हैं।
विनोद धमीजा, जो पानीपत चैप्टर के अध्यक्ष और एक प्रमुख निर्यातक हैं, के अनुसार यहां उत्पादित पुनर्नवीनीकृत यार्न का 80-90 प्रतिशत हिस्सा निर्यात कर दिया जाता है। कपड़े रंग के आधार पर छांटे जाते हैं, सफेद कपड़ों से 'ताज़ा' धागा और रंगीन कपड़ों से रंगीन धागा तैयार होता है। यह धागा मिंक कंबल, फर्श कवरिंग और अन्य वस्त्रों में उपयोग होता है। इस प्रक्रिया से निकलने वाला एक उप-उत्पाद, सस्ते धागे के रूप में फर्श कवरिंग में काम आता है। अंत में बची हुई 'धूल' भी व्यर्थ नहीं जाती। इसका उपयोग गद्दों और सोफ़ा में भरने के लिए किया जाता है।
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