Edited By Deepak Kumar, Updated: 14 Jul, 2025 02:24 PM

हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों और निगरानी के बावजूद गर्भ में बेटियों के हत्याकांड रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में आई रिपोर्ट में सामने आया है कि मात्र तीन महीनों में 1154 गर्भवती महिलाओं ने गर्भपात कराया है।
Haryana News: हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों और निगरानी के बावजूद गर्भ में बेटियों के हत्याकांड रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में आई रिपोर्ट में सामने आया है कि मात्र तीन महीनों में 1154 गर्भवती महिलाओं ने गर्भपात कराया है। विभाग को संदेह है कि इनमें से अधिकांश मामलों में भ्रूण के बेटी होने के कारण ही गर्भपात करवाया गया है।
आशा वर्करों की लापरवाही पर उठे सवाल
सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं की देखरेख के लिए तैनात 56 आशा वर्करों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन आशा वर्करों का काम था कि वे गर्भवती महिलाओं के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखें और उन्हें ‘सहेली’ की तरह समझाकर निगरानी करें। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, आशा वर्करों ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह निभाया नहीं है, जिसके कारण निगरानी में गंभीर चूक हुई है।
स्वास्थ्य विभाग की कड़ी कार्रवाई की तैयारी
रिपोर्ट के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। अधिकारियों ने कहा है कि अब हर गर्भवती महिला की निगरानी और भी कड़ी की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर पुलिस और कानून व्यवस्था की मदद भी ली जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, आशा वर्करों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी और अन्य स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों में भारी अंतर पाया गया है। विभाग की एक टीम गुप्त तरीके से काम कर रही है ताकि वास्तविक आंकड़ों के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जा सके।
मुख्यालय की टीमें विशेष निगरानी करेंगी
इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के मुख्यालय की टीमों को अलर्ट कर दिया है। ये टीमें ऐसे गर्भवती महिलाओं पर नजर रखेंगी जो पहले से एक या दो बेटियों की मां हैं, ताकि बेटी भ्रूण हत्या पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।
रिवर्स ट्रैकिंग के नियमों को कड़ा करने की योजना
स्वास्थ्य विभाग गर्भपात करवाने वाली महिलाओं की रिवर्स ट्रैकिंग प्रणाली को भी सख्त बनाने की प्रक्रिया में है। इसका उद्देश्य मुख्यालय से समूचे प्रदेश की गतिविधियों पर प्रभावी निगरानी रखना है। रिवर्स ट्रैकिंग के तहत हर गर्भपात करवाने वाली महिला की केस हिस्ट्री जांची जाएगी। यदि जांच में महिला की किसी भी स्तर पर गलती पाई जाती है, तो उसे नोटिस जारी कर जांच में शामिल किया जाएगा। इसके बाद संतोषजनक जवाब न मिलने या आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
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