रेल दुर्घटना में मरे 32 महिला-पुरुषों को नहीं मिल पाया अपनों का कंधा

Edited By Isha, Updated: 22 Jul, 2019 10:31 AM

32 women and men killed in train accident

वैसे तो सरकार डिजीटल इंडिया बनाने की कोशिश में लग रही है और चारों तरफ सोशल मीडिया का उपयोग भी काफी मात्रा में बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में अब रेलवे में डिजीटल होने की प्रक्रिया होनी शुरू हो चुकी है, ऑनलाइन टिकट, स्टेशन

पानीपत(राजेश): वैसे तो सरकार डिजीटल इंडिया बनाने की कोशिश में लग रही है और चारों तरफ सोशल मीडिया का उपयोग भी काफी मात्रा में बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में अब रेलवे में डिजीटल होने की प्रक्रिया होनी शुरू हो चुकी है, ऑनलाइन टिकट, स्टेशन पर ई-टिकट प्रणाली से काफी सुविधाजनक बना दिया है। इसके विपरीत अभी तक भी ट्रेनों की चपेट में आने से हुई अज्ञात की मौत थानों में ही रहस्य बनकर रह जाती है। ऐसे अज्ञात मिलने के मामले प्रतिवर्ष बढ़ते ही जा रहे हैं और ऐसे अनगिनत शव केवल कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं जिसके कारण मरने के बाद भी अज्ञात को उनके अपनों का कंधा भी नसीब नहीं हो पाता है।
ऐसे में पुलिस भी केवल शहर में अज्ञात शवों की इतिश्री करवाकर और 72 घंटे के बाद शवों को मोर्चरी हाऊस में रखकर, उसके बाद किसी संस्था को लावारिश बताकर दाह संस्कार के लिए उनको थमा देती है और ऐसे में जिनके परिजन बिछड़ गए हैं वे पूरी उम्र तक उनको ढूंढने में लगे रहते हैं।

हम यहां पर बात कर रहे हैं जिन लोगों की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो जाती है और उनकी कोई शिनाख्त नहीं हो पाती है। जी.आर.पी. थाने में ऐसे इस वर्ष अभी तक 32 ऐसे पुरूष और महिला हैं जिनकी कोई शिनाख्त नहीं हो पाई है और मौत के मुंह में समा गए हैं। न तो उनके कोई ठिकाने का पता चल पाया है और न ही उनके परिजन मिल पाए हैं। इसका कारण यही है कि लावारिश शव मिलने के बाद पुलिस की सुस्ती पूर्ण रवैया भी इसका जिम्मेदार रहा है। आखिर क्या कारण हैं कि इन लावारिशों को कोई नहीं मिल पाता है, कहां से आते हैं ये लावारिश आदमी, और आज के युग को देखते हुए कोई नहीं इनकी कोई शिनाख्त नहीं हो पाती है। पुलिस तो तीन दिन तक मोर्चरी हाऊस में रखने के बाद कागजों में एक शब्द अज्ञात लिखकर जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती है।

वैसे तो जी.आर.पी. अधिकारियों का कहना है कि वे अज्ञात शव मिलने पर उसकी शिनाख्त का भरसक प्रयत्न करते हैं लेकिन कई बार दाह संस्कार करने के बाद भी परिजन आ जाते हैं जिनके कपड़े इत्यादि से शिनाख्त की जाती है। अज्ञात शव जो भी सामान मिलता है और उसके कपड़े सुरक्षित रख लिए जाते हैं। उसके बाद भी सूचना के इतने आदान-प्रदान के साधन होने के बावजूद पुलिस उनके परिजनों तक नहीं पहुंच 
पाती है। 

रेलवे में 10 मौतों से 2 मिलते हैं अज्ञात
जी.आर.पी. आंकड़ों के अनुसार हर रेलवे दुर्घटना में होने वाली हर 10 मौतों में से 2 अज्ञात शव मिलते हैं। इन अज्ञात शवों के बारे में पुलिस भी लंबे समय तक खोजबीन नहीं कर पाती है। बस 72 घंटे के लिए शव को मोर्चरी हाऊस में रखकर उसके बाद किसी संस्था को दाहसंस्कार के लिए दिया जाता है।

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