Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 12 Apr, 2025 02:14 PM

महिलाओं के लिए कानून बने हैं, लेकिन पुरूषों के लिए कोई कानून नहीं बनाए गए हैं। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के नाम पर महिला आयोग बनाया गया। महिलाओं के लिए कानून बनाए गए, लेकिन इन कानूनों का अब महिलाएं दुरुपयोग कर रही हैं।
गुड़गांव, (ब्यूरो): महिलाओं के लिए कानून बने हैं, लेकिन पुरूषों के लिए कोई कानून नहीं बनाए गए हैं। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के नाम पर महिला आयोग बनाया गया। महिलाओं के लिए कानून बनाए गए, लेकिन इन कानूनों का अब महिलाएं दुरुपयोग कर रही हैं। यही कारण है कि आए दिन बेंगलुरू और मेरठ जैसे कांड हो रहे हैं। महिलाओं की प्रताड़ना से तंग आकर पुरुष आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। महिला कानून का दुरुपयोग बंद हो और पुरुषों के हितों की रक्षा के लिए भी आयोग बने इसको लेकर अब सेव फैमिली फाउंडेशन ने पुरुष आयोग बनाने की मांग को बुलंद कर दिया है। गुड़गांव में आयोजित पत्रकारवार्ता में फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने पुरुष आयोग बनाने की मांग केंद्र सरकार से की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुरूषों के हितों की रक्षा के लिए 19 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर पर पुरुष सत्याग्रह भी किया जाएगा। इसके लिए देश के हर कोने से लोग शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं।
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सेव फैमिली फाउंडेशन के पदाधिकारी अमित लखानी ने कहा कि आज महिला कानूनों का दुरुपयोग करने के कारण परिवार खत्म होते जा रहे हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कानून और आयोग बनाए गए थे, लेकिन इन आयोग और कानूनों की आड़ में अब पुरूषों को इतना प्रताड़ित किया जाने लगा है कि पुरुष अपने जीवन को ही समाप्त कर रहा है। पुरुष सत्याग्रह का साथ देने के लिए गुड़गांव से जन सेवक क्रांति पार्टी ने उन्हें समर्थन दिया है। जन सेवक क्रांति पार्टी के संस्थापक अंकित अल्घ ने कहा कि आज समय के साथ-साथ पुरुष आयोग बनाना जरूरी हो गया है। जब महिलाओं यहां तक कि पशुओं के हितों की रक्षा के लिए भी आयोग बना हुआ है तो पुरूषों के हितों की रक्षा के लिए भी आयोग और कानून बनाया जाना आवश्यक है।
फिलहाल संस्था की तरफ से पुरुष सत्याग्रह को सफल बनाने के लिए तैयारी की जा रही है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह पुरुषों के हितों की रक्षा करने के लिए 19 अप्रैल को ज्यादा से ज्यादा संख्या में दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर इस सत्याग्रह में शामिल हों और पुरूषों के लिए आयोग और कानून बनाने की आवाज को बुलंद करें।