वन स्टॉप सेंटर से जाते ही महिलाओं के बदल जाते हैं मोबाइल नंबर- रेनू भाटिया

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 28 Apr, 2025 04:57 PM

women changed her mobile number after leave one stop center

विवादों को लेकर वन स्टॉप सेंटर में महिलाएं आकर अपना दुखड़ा तो रोती हैं, लेकिन यहां से जाने के बाद ज्यादातर महिलाओं का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है। ऐसी महिलाओं का फॉलोअप करना बेहद जरूरी है।

गुड़गांव, (ब्यूरो): विवादों को लेकर वन स्टॉप सेंटर में महिलाएं आकर अपना दुखड़ा तो रोती हैं, लेकिन यहां से जाने के बाद ज्यादातर महिलाओं का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है। ऐसी महिलाओं का फॉलोअप करना बेहद जरूरी है। इनके फॉलोअप से ही पता लगेगा कि गुहार लेकर आई महिलाएं सुरक्षति हैं अथवा अभी भी उनके जीवन में विवाद चले आ रहे हैं। इसके लिए लगातार चार महीने तक उनका फॉलोअप किया जा रहा है।

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यह बात हरियाणा महिला आयोग की चेयरमैन रेनू भाटिया ने कही। वे आज डीसी से मुलाकात करने के बाद गुड़गांव में बने वन स्टॉप सेंटर का निरीक्षण करने पहुंची थी। उन्होंने कहा कि महिला अपराधाें को रोकने के लिए सख्ती से काम किया जा रहा है। सेंटर में मिले रजिस्टर से रेंडमली पांच नंबरों पर कॉल कर उनका फॉलोअप किया गया, जिसमें से दो पर ही महिलाओं से बात हो पाई जबकि तीन नंबरों पर पीड़िताओं से बात नहीं हो पाई। ऐसे में यह तीनों संदेह के घेरे में है। संबंधित अधिकारियों को इस पर जांच कर रिपोर्ट देने काे कहा है।

 

उन्होंने कहा कि वन स्टॉप सेंटर में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं। इमरजेंसी में सहायता लेने वाली पीड़िताओं को सहायता देने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। पीड़िता की सहायता के लिए नियम तय किए जा रहे हैं। 9 मई को फरीदाबाद में वन स्टॉप इंचार्ज के साथ बैठक की जा रही है जिसमें उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में पति ही अपनी पत्नियों के मोबाइल नंबर बदल देते हैं। अपने कार्यकाल के दौरान 12 हजार से ज्यादा केस देखे हैं। इस बार के कार्यकाल में हमने निर्णय लिया है कि हम शत प्रतिशत केसों का निपटान करेंगे।

 

उन्होंने कहा कि आयोग में आने वाले केसों का निपटान किया जा रहा है। नए केसों में ही तारीख दी गई है जबकि पुराने सभी केसों का निपटान कर दिया गया है। इनके निपटान के साथ ही उनका फॉलोअप किया जा रहा है। प्रयास रहता है कि अधिकतम 4 महीने में सभी प्रकार के केसों का निपटान कर दिया जाए। यह भी प्रयास रहता है कि जिले के डीसी और एसपी व कमिश्नर से मिलकर महिला अपराधाें को शून्य करने की दिशा में काम किया जाए। यह भी पुलिस कमिश्नर से कहा जाएगा कि जिन जांच अधिकारियों का मामले की जांच के दौरान महिलाओं के प्रति रवैया ठीक नहीं है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 

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