रग उत्सव 2025 बाय जयपुर रग्स: जहाँ लग्ज़री मिलती है विरासत से और हर धागा बदलता है एक जीवन

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 05 Sep, 2025 07:40 PM

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: वैश्विक स्तर पर शिल्प और सामाजिक उद्यमिता का प्रतीक बन चुका जयपुर रग्स अपने रग उत्सव को लेकर आ रहा है, यह क्रिएटिविटी, कल्चर और इम्पैक्ट का भव्य उत्सव है, जिसकी शुरुआत 3 सितम्बर से हो रही है।

गुड़गांव ब्यूरो : वैश्विक स्तर पर शिल्प और सामाजिक उद्यमिता का प्रतीक बन चुका जयपुर रग्स अपने रग उत्सव को लेकर आ रहा है, यह क्रिएटिविटी, कल्चर और इम्पैक्ट का भव्य उत्सव है, जिसकी शुरुआत 3 सितम्बर से हो रही है। इस साल का एडिशन अब तक के सभी आयोजनों से अलग है, जिसमें 14,000 से अधिक हैंडमेड रग्स का अद्भुत संग्रह शामिल है, जो भारत की बुनाई परंपराओं की आत्मा को आज की डिज़ाइन के साथ खूबसूरती से जोड़ता है।

 

इस वर्ष का क्यूरेशन आलम, जेनेसिस, सवाना, कॉन्कॉक्शन, दा हास, वुंडरकैमर, कलीएडो, क्लैन, बेसिस, लाकुना, एर्बे, इंडसबार, नोमैडिक थ्रेड्स, अकार, और कॉन्टूर जैसी सिग्नेचर कलेक्शंस को प्रस्तुत करता है। फेस्टिवल की सबसे खास झलक है अवॉर्ड-विनिंग मनचाहा कलेक्शन के करीब 200 अनोखे रग्स जो सीधे ग्रामीण कारीगरों की कल्पनाओं से बुने गए हैं और हर एक रग एक व्यक्तिगत और गहरी कहानी कहता है। संग्रहकर्ताओं के लिए, रग उत्सव 2025 दुर्लभ अवसर लेकर आया है: 2,000 विंटेज रग्स (30–50 साल पुराने) और 250 एंटीक रग्स (100 साल से अधिक पुराने)। यह इसे अपने तरह का सबसे बड़ा रग प्रदर्शनी बनाता है।

 

बदलते वैश्विक व्यापार समीकरणों और बढ़े हुए एक्सपोर्ट टैरिफ़ के बीच, जयपुर रग्स ने कंज्यूमर-फर्स्ट कदम उठाया है: पहली बार पूरे संग्रह पर 60% तक की छूट दी जा रही है। इससे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त, डिज़ाइनर-निर्मित रग्स डिज़ाइन प्रेमियों और संग्राहकों के लिए और भी सुलभ हो रहे हैं। जयपुर रग्स के डायरेक्टर योगेश चौधरी ने कहा रग उत्सव केवल डिज़ाइन शोकेस नहीं है, यह गरिमा, विरासत और उद्देश्य की बात है। इन शानदार कृतियों को बेहतरीन कीमतों पर पेश करके हम न केवल कला को दुनिया भर के घरों तक पहुँचा रहे हैं, बल्कि उन कारीगरों को भी सीधे सहारा दे रहे हैं जो इन्हें बनाते हैं। रग उत्सव का हर एडिशन एक उद्देश्य से जुड़ा होता है। 2025 में, इस उत्सव से होने वाली आय का भाग ग्रामीण बुनाई क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छ जल सुविधाओं के निर्माण के लिए समर्पित की जाएगी, ये दोनों ही कारीगर समुदायों की अहम ज़रूरतें हैं। इस पहल से हज़ारों बुनकरों और उनके परिवारों को लाभ होने की उम्मीद है।

 

 

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