Edited By Isha, Updated: 23 Oct, 2019 10:53 AM
23 लाख की आबादी वाले फरीदाबाद शहर के बीके अस्पताल को छह दशक बाद भी हरियाणा सरकार एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं दे सकी है। हैरत की बात तो यह है कि हरियाणा के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पास पूरे राज्य में महज........
फरीदाबाद (सुधीर राघव) : 23 लाख की आबादी वाले फरीदाबाद शहर के बीके अस्पताल को छह दशक बाद भी हरियाणा सरकार एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं दे सकी है। हैरत की बात तो यह है कि हरियाणा के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पास पूरे राज्य में महज 4 रेडियोलॉजिस्ट ही हैं। इससे अचरज की बात क्या होगी कि सरकार अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के दावे तो करती है लेकिन उसके पास विशेषज्ञों की भारी कमी है।
जो चिकित्सक बीके अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं वह भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है, उन्हें चिकित्सा विभाग ने मात्र 6 की ट्रेनिंग कराकर बैठा रखा है। दो ट्रेनिंग किए हुए चिकित्सकों में से एक डॉ. संगीता अग्रवाल एक साल पहल ही अस्पताल की सरकारी सेवा को अलविदा कह चुकी है। लेकिन वर्तमान में चण्डीगढ़ हाईकोर्ट ने 6 माह की ट्रेनिंग प्रोग्राम पर भी रोक लगा दी है जिससे चिकित्सा व्यवस्था की नींव हिल गई है और ने चिकित्सकों को ट्रेनिंग नहीं करवाई जा
ऐसे में विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट की कमी से जुझ रहे जिले के मरीजों को असकती।अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए लम्बी वेटिंग खत्म नहीं होने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि वर्तमान में चिकित्सक गंभीर से गंभीर रोगियों को भी 3 से 4 महिने या अगले साल की वेटिंग दे रहे हैं। इससे मजबूरन मरीजों को बाजार में जाकर निजी डायगनोस्टिक सेंटरों पर महंगे दामों में अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है।
ऐसे में सरकार की नि:शुल्क आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना केवल गरीबी रेखा से नीचे वाले मरीजों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आई है। बीके अस्पताल पहुंचने वाले गंभीर रोगियों को अल्ट्रासाउंड के लिए बाजार में 500 रुपए की बजाय निजी सेंटर संचालक 1000 से 1200 रुपए वसूल रहे हैं।
जो गरीब लोगों की जेब पर डांका है। शहर के सीएमओ और अस्पताल के पीएमओ भी इस व्यवस्था में बदलाव नहीं कर पा रहे हैं। तत्कालीन पीएमओ डॉ. वीरसिंह सहरावत ने जिला अस्पताल में दो रेडियोलॉजिस्ट लगाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया था जिसे मंजूरी तक नहीं मिल सकी।