रंग लाई विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की मेहनत, यूटी ने माना हरियाणा का दावा

Edited By Shivam, Updated: 27 Sep, 2021 11:12 PM

vis president gyan chand gupta s hard work ut accepted haryana s claim

विधान भवन में हरियाणा के लिए बनता हिस्सा लेने के लिए प्रयासरत विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को बड़ी कामयाबी मिली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात के बाद हरियाणा ने इस मामले में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। इस मुलाकात के बाद...

चंडीगढ़ (धरणी): विधान भवन में हरियाणा के लिए बनता हिस्सा लेने के लिए प्रयासरत विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को बड़ी कामयाबी मिली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात के बाद हरियाणा ने इस मामले में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। इस मुलाकात के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब और हरियाणा विधान सभा के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा द्वारा पेश किए गए तथ्यों को सही मानते हुए पूरे विधान भवन की सिरे से पैमाइश करवाने का निर्णय लिया है।

वहीं, विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने सोमवार को पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात कर एक-एक तथ्य की बारीकी से अवगत करवाया। इस मुलाकात के दौरान चंडीगढ़ प्रशासक ने हरियाणा विधान सभा के नए भवन के लिए 10 एकड़ भूमि दिलाने पर सहमति जताई है। पंजाब और हरियाणा के बंटवारे के दौरान विधान भवन में दोनों प्रांतों की हिस्सेदारी को स्पष्ट करने के लिए यूटी चंडीगढ़ इंजीनियरिंग विभाग के वित्त सचिव डॉ. विजय नाम्डेओराव जदे की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई है। इस बैठक में दोनों विधान सभाओं के सचिव और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ यूटी चंडीगढ़ की अधीक्षक अभियंता और मुख्य वास्तुकार भी उपस्थित रहे। 

इस दौरान हरियाणा के अधिकारियों ने बताया कि 1966 में हरियाणा और पंजाब के बीच हुए बंटवारे के दौरान विधान भवन में दोनों प्रांतों की हिस्सेदारी तय हुई थी। हरियाणा के अफसरों ने 17 अक्तूबर 1966 को राजभवन में आयोजित बैठक में हुए निर्णय के दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि विधान भवन का तीन हिस्सों में बंटवारा हुआ था। इसमें से 30 हजार 890 वर्ग फुट क्षेत्र पंजाब विधान सभा को, 10 हजार 910 वर्ग फुट क्षेत्र पंजाब विधान परिषद के लिए तय हुआ। हरियाणा विधान सभा को मात्र 24 हजार 630 वर्ग फुट क्षेत्र मिला था। इस संबंध में हरियाणा के अधिकारियों की ओर से 90 पृष्ठों के दस्तावेज भी पेश किए।

चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी हरियाणा की इन दलीलों से पूरी तरह सहमत नजर आए। अब हरियाणा की मांग पर चंडीगढ़ प्रशासन ने पूरे विधान भवन की पैमाइश करवाने का निर्णय हुआ है। इस पैमाइश में यह पता लगाया जाएगा कि 17 अक्तूबर 1966 की बैठक में हुए निर्णय के अनुसार हरियाणा की जो हिस्सेदारी तय हुई थी, वह उसके पास पूरी है या नहीं। हरियाणा विधान सभा सचिव राजेंद्र कुमार नांदल ने कहा कि दोनों प्रांतों में हुए बंटवारे और वर्तमान मंध उनके पास जगह का आंकलन करने के लिए तीन इंजीनियर्स की कमेटी गठित की जानी चाहिए। यह कमेटी आज की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन करेगी। उन्होंने कहा कि कमेटी को निर्धारित समय सीमा में रिपोर्ट पेश करनी चाहिए। 

वहीं, पंजाब विधान सभा के सचिव सुरेंद्र पाल सिंह इस पर आनाकानी करते नजर आए। उन्होंने बैठक के दौरान ही कहा कि इस मामले में उन्हें पंजाब विधान सभा अध्यक्ष के आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने हाल ही में सचिव पद पर कार्यभार संभाला है इसलिए पूरे मामले का अध्ययन करने और विस अध्यक्ष के आदेश प्राप्त करने के लिए उन्हें कम से कम एक माह का समय दिया जाए। बैठक में हरियाणा विधान सभा के अतिरिक्त सचिव डॉ. पुरुषोत्तम दत्त, अवर सचिव मुकेश गुप्ता, पंजाब विधान सभा अध्यक्ष के सचिव राम लोक भी मौजूद रहे।

उधर, दूसरी ओर हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने नई विधान सभा के लिए जमीन लेने के प्रयास भी तेज कर दिए है। इस सिलसिले में वे सोमवार को पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से मिले। उन्होंने दोनों प्रांतों के बीच चले आ रहे विवाद की जानकारी देने के साथ-साथ नए विधान भवन की आवश्यकता भी बताई। पुरोहित ने विस अध्यक्ष से वर्तमान विधान भवन का क्षेत्रफल भी पूछा। इस दौरान गुप्ता ने बताया कि वर्तमान भवन करीब 5 एकड़ भूमि पर बना है, लेकिन नए भवन के लिए 10 एकड़ भूमि की जरूरत है। यह भवन नए समय की आवश्यकताओं के अनुसार बनाया जाना है।

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