Edited By Saurabh Pal, Updated: 26 Sep, 2023 03:57 PM
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह के अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। इस दौरान एक बयान के जरिए फिर से वह चर्चा में हैं। चौधरी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि बीजेपी में मैं अकेला था जो किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़ा रहा। मैं...
बहादुरगढ़(प्रवीण कुमार धनखड़): भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह के अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। इस दौरान एक बयान के जरिए फिर से वह चर्चा में हैं। चौधरी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि बीजेपी में मैं अकेला था जो किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़ा रहा। मैं अपनी सोच पर चलता हूं। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह बहादुरगढ़ में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। वह यहां कार्यकर्ताओं को 2 अक्टूबर को जींद में होने वाली रैली का न्योता देने आए थे। चौधरी वीरेंद्र सिंह ने बताया कि वे मेरी आवाज सुनो नाम से रैली कर रहे हैं।
चौधरी वीरेंद्र सिंह का कहना है की व्यवस्था में नुख्स है और उसे सुधारने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य इस रैली में कोई नई चीज सामने लाने का है। जिसका असर सभी पार्टियों पर पड़े। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सारा खेल भीड़ का है। अगर रैली में भीड़ हुई तो राजनीतिक पार्टियों कहेंगी कि वीरेंद्र सिंह से बात करो, हो सके हमारे साथ आ जाए। वीरेंद्र सिंह का कहना है की प्रदेश की राजनीति में नई सोच पैदा करने के लिए यह कार्यक्रम किया जा रहा है। हम ना तो किसी का विरोध कर रहे हैं और ना ही किसी की जय जयकार। आजादी के बाद सामाजिक आर्थिक समस्याओं का पूरा समाधान नहीं हुआ। सब ने प्रयास किया, लेकिन समाधान पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि जींद का कार्यक्रम राजनीति से ऊपर का कार्यक्रम है।
कैथल में जननायक चौधरी देवीलाल के जन्मदिवस पर आयोजित इनेलो पार्टी की रैली में शामिल होने के सवाल का भी चौधरी वीरेंद्र सिंह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर भी हमें सोचना चाहिए। निमंत्रण मिला था तो मैं गया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता रामविलास शर्मा भी इस रैली में मेरे जाने का समर्थन कर चुके हैं।
बहरहाल पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह का कद राजनीति में बहुत बड़ा है। 2 अक्टूबर को होने वाली रैली के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रदेश की चुनावी राजनीति किस ओर करवट लेती है।
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