टिकट के दावेदारों ने दिल्ली में डाला डेरा!

Edited By Isha, Updated: 20 Sep, 2019 02:07 PM

ticket claimants camped in delhi

अगले कुछ दिनों में टिकटों का फैसला होने की संभावना के चलते भाजपा के कई मौजूदा विधायकों व टिकट के दावेदारों ने इन दिनों दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। उन्हें मालूम है कि इन दिनों की गई भागदौड़

अम्बाला शहर (रीटा/सुमन): अगले कुछ दिनों में टिकटों का फैसला होने की संभावना के चलते भाजपा के कई मौजूदा विधायकों व टिकट के दावेदारों ने इन दिनों दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। उन्हें मालूम है कि इन दिनों की गई भागदौड़ का फायदा अगले 5 सालों तक मिलता रहेगा। कुछ दावेदार आर.एस.एस. के अधिकारियों तो कुछ सरकार में अपनी ठीक-ठाक पहुंच रखने वाले संतों से मिल जुल रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अम्बाला लोकसभा क्षेत्र के भी कुछ विधायक पिछले एक सप्ताह से हर रोज दिल्ली आना-जाना रहे हैं। मुख्यमंत्री के तेवरों को देखकर अब कई विधायक हिले पड़े हैं।

उन्हें लगने लगा है कि मौजूदा विधायक होना टिकट मिलने की गारंटी का मापदंड नहीं है लेकिन यह भी तय है कि मौजूदा विधायकों का टिकट बिना किसी बड़ी वजह के नहीं कटेगा। कई विधायक इन दिनों संघ के अधिकारियों व संसदीय बोर्ड के सदस्यों व भाजपा में अ'छी-खासी पहुंच रखने वाले संतों का आशीर्वाद हासिल करने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों व दावेदारों की कर्मकुंडली बना रखी है इसलिए माना जा रहा है कि इस बार टिकटों की असली चाबी मनोहर लाल के हाथ में होगी। भाजपाइयों को इस बात का अंदाजा है कि इस बार टिकट मिलने सबसे बड़ी शिफारिश मुख्यमंत्री की होगी। 

वैसे भाजपा में टिकट के मामले में संघ के नेताओं, इलाके के सांसद व संगठन के बड़े नेताओं की भी अहम भूमिका होती है। पार्टी आलाकमान अपने तौर पर सर्वे करवा चुका है और उसे पता है कि कौन कितने पानी में है। भाजपा की हवा देख कर एक-एक विधानसभा क्षेत्र से कई कई दावेदार मैदान में हैं। हर कोई अपने तौर पर जोर लगा रहा है लेकिन लॉटरी किसकी निकलेगी यह कहना अभी मुश्किल है। 

विधायकों के हलकों के नेताओं ने भी खोला मोर्चा
सबसे ज्यादा फिक्रमंद कुछ मौजूदा विधायक हैं जिनके खिलाफ  उनके हलकों के नेताओं ने ही मोर्चा खोला हुआ है। ऐसे कुछ मामले पार्टी के आला नेताओं व संघ के अधिकारियों के ध्यान में लाए गए हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक ऐसे विधायकों की तादाद करीब एक दर्जन के आसपास है। कुछ मामलों में कुछ नेता इसलिए भी अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं क्योंकि टिकट न भी मिला तो सरकार आने पर वे चेयरमैन या फिर संगठन में किसी बड़े पद के लिए रास्ता खुल सकता है। ऐसे कुछ दावेदार तो वाकई अच्छे जनाधर वाले हैं जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो विधायक तो दूर अपने बलबूते पर नगर पार्षद या फिर सरपंच भी नहीं बन सकते। 

सी.एम. ने दिखाए कार्यकत्र्ताओं को सपने
मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद एक अच्छी बात यह की, कि उन्होंने आम कार्यकत्र्ताओं को भी बड़े सपने देखने का मौका दे दिया। मुख्यमंत्री ने जब से जनसभाओं में यह कहना शुरू किया कि स्टेज के सामने दरियों पर बैठे कार्यकत्र्ता कल मंच पर बैठ सकते हैं और मंच पर बैठे लोग कल नीचे दरियों पर हो सकते हैं तब से छोटे-मोटे नेताओं ने भी दूर तक देखना शुरू कर दिया। भाजपा में शामिल हुए नए मेहमान भी दावेदारों की भीड़ देखकर पशोपेश में हैं। पार्टी के लिए पुराने वफादार नेताओं को छोड़कर नए लोगों को टिकट थमाना बहुत आसान नहीं होगा। 

कांग्रेस भी हुई मजबूत
कांग्रेस में भाजपा की तरह टिकटों की मारामारी नहीं है। एक महीने पहले तक कांग्रेस में टिकट की मांग कोई खास नहीं थी लेकिन हुड्डा व शैलजा के बागडोर संभालने के बाद कांग्रेस में कुछ जान आई है और कार्यकत्र्ता घरों से निकलकर चुनावी मोर्चे पर डटने शुरू हो गए हैं। टिकट के दावेदार भी मैदान में आने लगे हैं। कांग्रेस क्षेत्रों का कहना है कि टिकट का अंतिम फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा लेकिन इस बार हुड्डा व शैलजा की टिकट आबंटन में बड़ी भूमिका होगी व बसपा व इनैलो व जेजेपी जैसे अन्य क्षेत्रीय दल में टिकटों के मंथन में जुट गए हैं। इस महीने के आखिर तक चुनावी तस्वीर साफ  होनी शुरू हो जाएगी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!