Edited By Isha, Updated: 03 Sep, 2023 01:49 PM

‘मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती’ इन पंक्तियों को सजीव करती हैं यमुनानगर की 2 बरसाती नदियां।हिमाचल प्रदेश की सीमाओं के साथ लगते पहाड़ों की गोद से निकलकर ये नदियां यमुनानगर के दादूपुर हेड पर पश्चिमी यमुना नदी में आकर मिलती हैं। इन नदियों से...
यमुनानगर( सुरेंद्र मेहता): ‘मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती’ इन पंक्तियों को सजीव करती हैं यमुनानगर की 2 बरसाती नदियां। हिमाचल प्रदेश की सीमाओं के साथ लगते पहाड़ों की गोद से निकलकर ये नदियां यमुनानगर के दादूपुर हेड पर पश्चिमी यमुना नदी में आकर मिलती हैं। इन नदियों से सोना निकालने का काम किया जाता है।
हर साल सोना निकालने के लिए टेंडर किया जाता है जिससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। वहीं छछरौली क्षेत्र के मानकपुर गांव के लोग जिनकी कई पीढ़ियां नदियों से सोना निकालने का काम करती आई हैं इन नदियों से सोना निकालने का काम करते हैं। इसी गांव के लोग गंगा नदी से सोना निकालने भी उत्तराखंड तक जाते हैं। लेकिन इन दिनों यमुनानगर की सोम और पथराला नदी में रणजीतपुर और नगली के पास यह लोग सोना निकालने का काम कर रहे हैं.।सोना निकालने वाले लोगों ने बताया कि उनके गांव के काफी लोग ये काम कई पुश्तों से करते आ रहे हैं। वहीं उन्होने बताया कि दिन भर काम करके वे कभी 500 तो कभी 1000 रुपए तक का सोना निकाल लेते हैं।
उन्होने बताया कि हालांकि देखने में ये आसान काम लगता है लेकिन जिस तरह हीरे की परख जौहरी ही जानता है उसी तरह नदियों में कहां सोना है वही अंदाजा लगा सकते हैं। सोना निकालने वाले बताते हैं कि काले और लाल रेत में सोना पाया जाता है। जब इन बरसाती नदियों में पानी आता है उसके बाद पानी कम होने पर वे रेत में खोज करते हैं और सोना निकालते हैं।