पानीपत का वो शहीद जिसपर भगत सिंह करते थे सबसे ज्यादा भरोसा, आज शहीदी दिवस पर उनको भूल गए लोग

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 23 Mar, 2023 07:31 PM

the martyr of panipat on whom bhagat singh trusted the most

आजादी के लिए देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अनेकों शहीदों को हम याद करते हैं, और कईयों के नाम तो हमारी जुबान पर इस कदर रखे हुए हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उन लोगों का नाम आता है...

पानीपत (सचिन शर्मा) : आजादी के लिए देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अनेकों शहीदों को हम याद करते हैं, और कईयों के नाम तो हमारी जुबान पर इस कदर रखे हुए हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उन लोगों का नाम आता है। लेकिन कुछ ऐसे शहीद भी हैं जिन्हें सरकारी तंत्र हो या आम लोग उन्हें भुला चुके हैं। आज शहीदी दिवस पर हम पानीपत के ऐसे शहीद के बारे में बता रहे हैं जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काम कर चुके थे।

पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार, जिन्हें 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया गया था। अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए। 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल गए। 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए आवाज उठाने लगे। क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साढ़े 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए। क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज हुआ करता था। हंसराज नाम का एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रख दिया। जब भगत सिंह को जेल से कोई भी लेख या कागज बाहर भेजना होता था या कोई भी फाइल जेल में मंगवानी होती थी तो वह सबसे ज्यादा भरोसा क्रांति कुमार पर किया करते थे। क्रांति कुमार शहीद चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित नौजवान भारत सभा के महासचिव रहे। विभाजन के बाद वह पानीपत आकर पत्रकारिता करते रहे। 1966 में पंजाब विभाजन के दौरान पनपी हिंसा में क्रांति कुमार को पानीपत की एक दुकान में जिंदा जला दिया गया था।

देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांति कुमार को आज सरकारी तंत्र बिल्कुल भूल चुका है। इतना ही नहीं, क्रांति कुमार के दोनों बेटे में से एक लगभग 2017 तक पानीपत में रहा करते थे। एक बेटा विकलांग हो चुका था। वहीं दूसरा बेटा होटलों पर झूठे बर्तन धोता देखा गया था। मीडिया में काफी चर्चाओं के बाद क्रांति कुमार का बेटा विनय भी गायब हो गया। उसके बाद उनका कोई पता नहीं चला।

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