RBI की नई रिपोर्ट दे रही संकेत, बिजली उत्पादन की लागत बढ़ने से बढ़ सकती है बिजली की दरें

Edited By Manisha rana, Updated: 02 Nov, 2020 08:45 AM

the cost of electricity generation can increase electricity rates

कोविड के कारण बने मंदी के हालात ने देश के पावर सैक्टर की हालत खराब कर दी है। लॉकडाऊन खुलने के बाद देश के पावर प्लांट में उत्पादन व मांग की स्थिति पिछले 3 महीने में काफी सुधरी...

चंडीगढ़ ( चंद्रशेखर धरणी) : कोविड के कारण बने मंदी के हालात ने देश के पावर सैक्टर की हालत खराब कर दी है। लॉकडाऊन खुलने के बाद देश के पावर प्लांट में उत्पादन व मांग की स्थिति पिछले 3 महीने में काफी सुधरी है, लेकिन कोविड के शुरूआती 4 महीने में सैक्टर पर जो असर पड़ा है, उससे बाहर निकलने में अभी वक्त लगेगा। असल में बिजली की मांग घटने और बिजली शुल्क वसूलने की प्रक्रिया के बाधित होने का समूचे पावर सैक्टर पर असर हुआ है।

वहीं उसका बोझ आगे चलकर आम जनता को भी उठाना होगा। बिजली उत्पादन की लागत बढऩे से वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को भी बिजली की दर बढ़ानी होगी। इस बात का साफ इशारा राज्य की माली हालत पर जारी आर.बी.आई. की नई रिपोर्ट में किया गया है। कोविड ने मांग को जितना प्रभावित किया है, उसका असर पावर सैक्टर पर वित्त वर्ष 2020-21 के बाद भी रहेगा। स्थिति इतनी खराब है कि केंद्र सरकार की तरफ से 90 हजार करोड़ रुपए की मदद भी नाकाफी पड़ रही है। राज्यों की वित्तीय हालत पर भी इसका असर होना तय है, क्योंकि इस 90 हजार करोड़ रुपए का बोझ राज्यों के बजट पर भी पडऩे जा रहा है।

स्थिति सामान्य होने के बाद बिजली क्षेत्र को एक और राहत पैकेज देने की जरूरत होगी। रिपोर्ट में उदय योजना के बारे में कहा गया है कि इसे जिन राज्यों ने अपनाया है, उनकी हालत में खास सुधार नहीं हुआ है। उदय योजना तहत राज्यों के लिए बिजली खरीद व बिजली की बिक्री के अंतर को कम करना बाध्यता थी, रिपोर्ट कहती है कि स्थिति पिछले 2-3 वर्षों में और खराब हुई है।

सिर्फ 5 राज्य (असम, हरियाणा, गोवा, गुजरात व महाराष्ट्र) जिस दर पर बिजली खरीद रहे हैं, उसकी पूरी कीमत वसूलने में सफल रहे हैं। शेष राज्यों में यह अंतर 30 पैसे प्रति यूनिट से लेकर 2 रुपए प्रति यूनिट तक है। बिजली क्षेत्र के घाटे को पूरा करने के लिए वितरण कंपनियां इतनी वृद्धि कर सकती हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान डिस्कॉम्स के लिए वाणिज्यिक व औद्योगिक मांग काफी कम हो गई है।

कई राज्य आवासीय बिजली की दर लागत से नीचे रखते हैं जबकि वाणिज्यिक व औद्योगिक क्षेत्र से ज्यादा वसूलते हैं, ताकि भरपाई हो सके। पहले लॉकडाऊन से और अब औद्योगिक सुस्ती की वजह से इस क्षेत्र में खपत कम हो गई है। केंद्रीय बिजली नियामक आयोग की 28 अक्तूबर, 2020 की रिपोर्ट बताती है कि मांग नहीं होने से देश के सभी पावर प्लांटों ने मिलाकर अपनी क्षमता का सिर्फ 57.73 फीसदी उत्पादन किया है। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!