कुशल श्रमिकों द्वारा सरस्वती नदी की खुदाई शुरू, कई हड़प्पा कालीन सभ्यता के सामान मिले

Edited By Updated: 03 Mar, 2017 06:27 PM

skilled workers began digging the river saraswati

हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती नदी को पुन: प्रवाहित करने के महत्वपूर्ण अभियान की कड़ी में आज से जिला के गांव कुनाल में हड़प्पाकालीन स्थल पर नदी के प्रवाह क्षेत्र के किनारों की खुदाई आरंभ हो गई है।

फतेहाबाद (रमेश भट्ट):हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती नदी को पुन: प्रवाहित करने के महत्वपूर्ण अभियान की कड़ी में आज से जिला के गांव कुनाल में हड़प्पाकालीन स्थल पर नदी के प्रवाह क्षेत्र के किनारों की खुदाई आरंभ हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल एवं हरियाणा के पुरातत्व और संग्राहलय मंत्री रामबिलास शर्मा के निर्देशों पर प्रदेश के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की निगरानी में खुदाई का आरंभ किया गया है। खुदाई के लिए मंत्री रामबिलास शर्मा की मौजूदगी में 2 दिन पहले ही हरियाणा राज्य पुरातत्व और संग्रहालय विभाग तथा भारतीय पुरातत्व समिति, नई दिल्ली के मध्य एक समझौता हुआ था। गांव कुनाल में पुरातत्व विभाग के अनुभवी वैज्ञानिकों द्वारा मैपिंग के बाद आज कुशल श्रमिकों द्वारा शुरू करवाई गई खुदाई में निकली मिट्टी में मिले रेतीले कणों से यहां कभी नदी की मौजूदगी की संभावनाएं प्रबल हुई हैं, लेकिन अभी इसकी पुष्टि होनी बाकी है। 

हालांकि उपग्रह चित्रों से भी इस क्षेत्र में नदी प्रवाह के स्पष्ट संकेत मिल चुके हैं। यहां नदी की खुदाई व रिपोर्ट बनाने तक का काम केंद्रीय पुरातत्व विभाग दिखेगा। एक सारा काम पूरा होने के बाद खुदाई के दौरान मिलने वाले अवशेष व रिपोर्ट की प्रतिलिपि हरियाणा पुरातत्व विभाग को सुपुर्द कर दी जाएगी। अब तक यहां हरियाणा पुरातत्व विभाग के अधीन ही काम चल रहा था। हड़प्पा काल के साक्षी गांव कुनाल में खुदाई के काम में दर्जनों मजदूर लगाए गए हैं। पूर्व में यहां हुई खुदाई में निकले महत्वपूर्ण अवशेषों से यह पुष्टि हुई है कि इस जगह हड़प्पा काल में कोई सभ्यता रही होगी। हरसैक के वैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार कभी गांव कुनाल से सरस्वती नदी गुजरती थी। 

इस संबंध में पुरातत्व विभाग के अधिकारी एस.पी. चालिया  ने बताया कि रतिया के गांव कुनाल प्राचीनतम हड़प्पाकालीन स्थलों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस खुदाई का उद्देश्य इस स्थल की प्राचीन भौतिक संस्कृति को उजागर करना है। जहां मुख्य अवस्थापित क्षेत्र 3-4 एकड़ है, जबकि विस्तारित क्षेत्र नौ एकड़ है। उन्होंने बताया कि गांव कुनाल ने भारतीय उपमहाद्वीप में आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यहां खुदाई किए जाने से उत्कृष्टï हड़प्पा संस्कृति के उदय और इसके प्राचीन चरणों पर भविष्य में अनुसंधान के नए द्वार खुलेेंगे। इस स्थल पर पहले की गई खुदाई में विकसित जल निकासी प्रणाली के अवशेष मिले थे। इस खुदाई का उद्देश्य इस स्थल की प्रारंभिक भौतिक संस्कृति को उजागर करना है और इससे हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता के इतिहास का पता चलेगा।
 

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