आखिर "राव तुलाराम शहीद स्मारक" निर्माण क्यों नहीं बनने दे रहे राव नरबीर सिंह

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 27 Mar, 2025 07:15 AM

rao narbir singh not allowing the construction of shaheed smarak

स्वतंत्रता सेनानियों तथा शहीदों का सम्मान करने का दावा करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार आज उस समय कटघरे में खड़ी नज़र आई जब भाजपा के एक विधायक ने महेंद्रगढ़ जिला के गांव नसीबपुर में 1857 की क्रांति के अग्रदूत कहे जाने वाले स्वतन्त्रता सेनानी तथा शहीद...

गुड़गांव, (ब्यूरो): स्वतंत्रता सेनानियों तथा शहीदों का सम्मान करने का दावा करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार आज उस समय कटघरे में खड़ी नज़र आई जब भाजपा के एक विधायक ने महेंद्रगढ़ जिला के गांव नसीबपुर में 1857 की क्रांति के अग्रदूत कहे जाने वाले स्वतन्त्रता सेनानी तथा शहीद राव तुलाराम का स्मारक बनाए जाने का विधानसभा में सवाल उठाया तो ,सैनिक एवं अर्ध सैनिक कल्याण मंत्री टाल -मटोल कर गए। 

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हैरानी की बात है कि प्रश्न करने वाले नारनौल के विधायक ओमप्रकाश यादव और जवाब देने वाले मंत्री राव नरबीर सिंह दोनों ही अहीरवाल क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। आज विधानसभा सत्र के प्रश्नकाल के दौरान विधायक ओमप्रकाश यादव ने जब स्पीकर के माध्यम से सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण मंत्री राव नरबीर सिंह से सवाल किया कि वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की थी कि अंबाला छावनी और नसीबपुर में राष्ट्रीय स्तर के शहीद स्मारक बनाए जाएंगे।  हालांकि कहने को तो नाम मात्र का स्मारक नसीबपुर में 1989 से ही बनाया गया है और पंचायत को उसका जिम्मा सौंपा हुआ है, लेकिन पंचायत के सीमित संसाधनों के चलते न तो ढंग से इसकी देखभाल हो पाई और न ही ज्यादा लोगों को इसके बारे में जानकारी है। अब तो यह गांव नारनौल नगरपालिका की परिधि में आ गया है। 

 

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद हालांकि सरकार ने उसी समय अंबाला छावनी और नसीबपुर में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के शहीदों के नाम स्मारक बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। अंबाला छावनी में तो करीब 550 करोड़ रूपये की लागत से एशिया का सबसे बड़ा युद्ध -स्मारक बनकर लगभग तैयार हो गया है , लेकिन नसीबपुर में प्रस्तावित ""राव तुलाराम शहीद स्मारक" की फाइल अभी भी एक विभाग से दूसरे  विभाग में किसी गेंद की भांति लुढ़क रही है।  विधायक ओमप्रकाश यादव ने विधानसभा में नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि स्मारक को बनाने के लिए कभी टूरिज्म , कभी पीडब्लूडी तो कभी पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का नाम लिया जा रहा है और आज मंत्री राव नरबीर सिंह का जवाब उदासीन है जिसमें उन्होंने यह स्मारक निर्मित करने से मना कर दिया है। 

 

हालांकि राव नरबीर ने अपने जवाब को स्पोर्ट करते हुए कहा कि गांवों में बनने वाले स्मारक को पंचायतों को जिम्मा सौंपा गया है तथा प्रत्येक जिला मुख्यालय पर भी स्मारक बने हुए हैं , नसीबपुर गांव अब नारनौल नगरपालिका के अधीन आता है विधायक ओमप्रकाश नगरपालिका को कहकर उस स्मारक का सौंदर्यकरण करवा सकते हैं। विधानसभा में जब यह सवाल जवाब का दौर चल रहा था तो अहीरवाल की वर्तमान "चौधर की राजनीति" को समझने वाले कुछ विधायक मंद -मंद मुस्कराते नजर आए और मीडिया गैलरी में भी यह खुसर -पुसर थी कि अंबाला छावनी भी तो अंबाला शहर ( जो कि जिला मुख्यालय है ) से अलग क्षेत्र है जहां एशिया का सबसे बड़ा युद्ध स्मारक बनाया जा रहा है तो फिर नसीबपुर में "राव तुलाराम शहीद स्मारक" क्यों नहीं बन सकता। 

 

कई चैनलों पर विधानसभा के सत्र को लाइव देख कर अहीरवाल क्षेत्र के लोगों में आज दोपहर बाद यह चर्चा जोरों पर रही कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव ,स्वतंत्रता सेनानी एवं शहीद राव तुलाराम के वंशज हैं। सब जानते हैं कि राव इंद्रजीत सिंह तथा राव नरबीर सिंह एक दूसरे के राजनीतिक प्रतिद्वंदी हैं।  माना जाता है कि राव नरबीर सिंह इसी कारण "राव तुलाराम शहीद स्मारक" बनाने में टालमटोल कर रहे हैं। विधायक ओमप्रकाश यादव ने जब यह कहा कि इस स्मारक के निर्माण के लिए बजट भी निर्धारित हो गया था और कंसल्टेंसी हायर करने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने वर्ष 2024 में टेंडर भी जारी कर दिए थे , सब कार्रवाई चल रही थी ....... अचानक क्या हो गया , पता नहीं। उन्होंने रुआंसा होकर कहा कि "स्मारक नहीं बनेगा" मंत्री द्वारा यह कहना शहीदों का अपमान है। 

 

खास बात यह है कि दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र के यादव ही नहीं अन्य वर्गों के नेता भी "राव तुलाराम शहीद स्मारक" के निर्माण के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि एक तो , शहीद देश की धरोहर होते हैं और इनके स्मारक युवाओं को प्रेरणा देने का काम करते हैं।  दूसरा , अगर यह स्मारक राष्ट्रीय स्तर का बन जाता है तो नारनौल जैसे पिछड़े क्षेत्र में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में विकास को रफ़्तार मिलेगी। 

 

नसीबपुर में इसलिए बनाया जाना जरुरी है "राव तुलाराम शहीद स्मारक"

 

इतिहासकारों के अनुसार 1857 की क्रांति में स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अहीरवाल क्षेत्र के वीर युवा राव तुलाराम ने अंग्रेजों को इस क्षेत्र से खदेड़ दिया था। उन्होंने नसीबपुर- नारनौल के मैदान में अंग्रेजों से युद्ध किया जिसमें उनके पाँच हजार से अधिक क्रन्तिकारी सैनिक मारे गए थे। उन्होंने ब्रिटिश सेना को कड़ी टक्कर दी तथा ब्रिटिश सेना के कमांडर जेरार्ड और कप्तान वालेस को मौत के घाट उतार दिया था। बताया जाता है कि बारिश के दिनों में आज भी नसीबपुर की भूमि लाल हो जाती है जो कि राव तुलाराम और इनके क्रन्तिकारी सैनिकों की शहादत की गवाही देती नजर आती है। बहरहाल अब देखना है कि आज़ादी के मतवालों की यादों को संरक्षित रखने वाला "राव तुलाराम शहीद स्मारक"  गांव नसीबपुर में बनता है या नेताओं की आपसी राजनैतिक लड़ाई की भेंट चढ़कर फ़ाइलों में ही धुल फांकता रहेगा।

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