पत्रकार हत्या मामले में राम रहीम दोषी करार, 17 को होगा सजा का ऐलान (VIDEO)

Edited By Shivam Yadav, Updated: 12 Jan, 2019 01:53 PM

16 साल पुराने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। जज जगदीप राठी की कोर्ट ने राम रहीम को दोषी करार दिया है। रोहतक की सुनारिया जेल में बंद राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा की ही दो साध्वियों के साथ...

पंचकूला (धरणी/उमंग): 16 साल पुराने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, जज जगदीप सिंह की कोर्ट ने राम रहीम को दोषी करार दिया है। रोहतक की सुनारिया जेल में बंद राम रहीम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम सहित तीन अन्य आरोपियों किशनलाल, निर्मल व कुलदीप को दोषी करार दिया है, जिनकी सजा का ऐलान 17 जनवरी को होगा।

वहीं सुनवाई के बाद सीबीआई वकील ने बताया कि इस मामले में चारों आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। उन्होंने बताया कि डेरा मुखी सहित चारों आरोपियों को कम से कम उम्रकैद की सजा सुनाई जाएगी। राम रहीम डेरा सच्चा सौदा की ही दो साध्वियों के साथ यौन शोषण के दोष में सुनारिया जेल में बंद है। अब पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में भी राम रहीम को कोर्ट ने मुजरिम पाया है। राम रहीम के अलावा मामले से जुड़े अन्य सभी आरोपियों की पेशी प्रत्यक्ष रूप से हुई। 

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छत्रपति हत्याकांड में ऐसे आया राम रहीम का नाम
मामला 16 साल पहले साल 2002 के मई महीने से शुरू हुआ, जब पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार पूरा सच में राम रहीम पर साध्वियों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों वाला गुमनान पत्र छापा था, जिससे डेरा प्रमुख राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा की बदनामी होने लगी। डेरे की बदनामी होने के कारण पत्रकार रामचंद्र को धमिकयां मिलनी शुरू हो गई, जिसके कुछ महीनों बाद ही 24 अक्टूबर 2002 को डेरे के लोगों ने रामचंद्र को उसके घर के बाहर बुलाकर उनपर गोलियां चलाई। इस हमले में रामचंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए, हालांकि मौके पर ही हमलावरों को पुलिस ने पकड़ लिया, जिनसे पूछताछ करने पर सामने आया कि हमलावर डेरे से जुड़े हुए थे।

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वहीं रामचंद्र की मौत के बाद 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में जिसके बाद उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने मामले में सीबीआई से जांच की मांग के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की। नवंबर 2003 में हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की गई, एफआईआर में गुरमीत राम रहीम के साथ डेरा प्रेमी किशनलाल, निर्मल व कुलदीप आरोपी बनाए गए, जिनपर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा।

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दिसंबर 2003 में इस केस की जांच शुरू हुई, हालांकि 2004 में डेरा सच्चा सौदा ने यह जांच रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा की याचिका खारिज कर दी और कहा कि जाँच तो सीबीआई ही करेगी। जिसके बाद से लगातार अब तक तक मामले में हुई सैकड़ों पेशी भुगतने के बाद आखिर आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, जिसके बाद अब पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है।

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गौरतलब है रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड राम रहीम के जिन कारनामों को उजागर करने पर घटित हुआ, उसी कारनामों के मामले में राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। वो मामला डेरा सच्चा सौदा की शरण में साध्वियों के रूप में आई युवतियों के यौन शोषण का है, जो वर्ष 2002 में एक पत्र सामने आया था, जिसमें साध्वियों ने अपने साथ हो रहे अत्याचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट से मदद की गुहार लगाई थी। पत्र की एक प्रति रामचंद्र ने अपने अखबार में छाप दी थी।

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