अम्बाला में बढ़ी सियासी  सरगर्मियां, दिसम्बर में निगम चुनाव लगभग तय

Edited By Isha, Updated: 29 Nov, 2020 09:36 AM

political enthusiasts increase in ambala

राज्य चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में अम्बाला शहर, पंचकूला व सोनीपत नगर निगम सहित करीब आधा दर्जन नगर परिषद व नगरपलिकाओं के चुनाव लगभग तय है। चुनाव आयोग ने इसके लिए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सरकार का इशारा मिलते...

अम्बाला(रीटा/सुमन): राज्य चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में अम्बाला शहर, पंचकूला व सोनीपत नगर निगम सहित करीब आधा दर्जन नगर परिषद व नगरपलिकाओं के चुनाव लगभग तय है। चुनाव आयोग ने इसके लिए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सरकार का इशारा मिलते ही तारीखों की घोषणा हो जाएगी। बढ़ता कोरोना क्या इसमें कोई रूकावट डाल सकता है, यह कहना अभी मुश्किल है। 

अगले महीने चुनावी बिगुल बजने से पहले अम्बाला नगर निगम के लिए चुनावी सरगर्मियां काफी बढ़ गई हैं। भाजपा व हरियाणा डैमोक्रेट फ्रंट ने निगम के सभी 20 वार्डों के लिए जीताऊ व टिकाऊ उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। कांग्रेस का अभी यहां कोई अगुवा या संगठन नहीं है जिसकी वजह से कई वार्डों के कुछ नेता अपने तौर पर तैयारी में लगे हुए हैं। यहां के पूर्व विधायक विनोद शर्मा ने भी अपने दल जन चेतना पार्टी से अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया हैं। पता चला है कि फिलहाल वह मेयर के लिए किसी बड़े चेहरे वाली नेत्री की तलाश में है।

फ्रंट ने मजबूत प्रत्याशियों का सर्वे किया शुरू  
इस चुनाव के लिए भाजपा के बाद सबसे ज्यादा सक्रीय डैमोक्रेट फ्रंट है। फ्रंट के सुप्रीमो निर्मल सिंह के मुताबिक मेयर के प्रत्याशी के लिए पूर्व पार्षद अमीषा चावला के नाम पर घोषणा कर दी गई है जबकि सभी 20 वार्डों में मजबूत प्रत्याशी के लिए सर्वे का काम जारी है। 2019 के चुनावों में निर्मल सिंह ने अंबाला शहर से विधानसभा का चुनाव लड़ा था और उन्हें 55944 वोट मिले थे। निर्मल सिंह की बेटी व 2019 से पहले महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव रही चित्रा सरवारा भी निगम चुनाव में अपनी ताकत झौंकेंगी।  
हिम्मत सिंह दुविधा में, 3 को करेंगे फैसला
फ्रंट के बड़े नेता हिम्मत सिंह को लेकर अभी दुविधा का माहोल बना हुआ है। पिछले 2 महीनों से वह अलग-थलग बैठे हैं। हिम्मत ने 2014 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से मौजूदा भाजपा विधायक असीम गोयल के खिलाफ  चुनाव लड़ा था और उन्होंने हार के बावजूद 34658 वोट हासिल किए थे। 2019 में कांग्रेस का टिकट न मिलने पर वह फ्रंट के साथ जुड़ गए थे।
 जानकारी के मुताबिक हिम्मत ने 3 दिसम्बर को अपने समर्थकों के बैठक बुलाई है, जिसमें वह यह फैसला करेंगे कि फ्रंट के साथ जुड़े रहेंगे या फिर अपने पुराने घर कांग्रेस में लौटेंगे। यह भी संभव है कि उनका फैसला चौंकने वाला हो।

भाजपा ने पूरा किया फील्ड वर्क 
भाजपा ने चुनाव के ऐलान से पूर्व ही अपना फील्डवर्क काफी हद तक पूरा कर लिया है। विधायक असीम गोयल अपनी टीम के साथ जोर-शोर से जुटे हुए हैं। मेयर प्रत्याशी का अंतिम फैसला चाहे राज्य आलाकमान करे लेकिन 20 वार्डों के पार्षदों का फैसला विधायक की मर्जी से होना है। अन्य दलों के मुकाबले में भाजपा के हौसले ज्यादा बुलंद हैं इसकी वजह उसके पास बूथ स्तर तक मजबूत संगठन का होना है। 
असीम का दावा है कि मेयर के अलावा उसके 2 तिहाई पार्षद भी जीत हासिल करेंगे। भाजपा में व वार्ड पार्षदों के दावेदारों की सबसे लंबी कतार है। कुछ लोग तो यह मानकर बैठे हैं भाजपा का टिकट मिलने पर उनकी जीत तय है। 2019 में पूर्व विधायक विनोद शर्मा को छोड़ भाजपा में शामिल हुए 2 नेताओं की भी लाटरी खुल सकती है।

जातीय समीकरण और चेहरे की भी होगी बड़ी भूमिका
अम्बाला शहर में अच्छा-खासा पंजाबी वोट बैंक है। सिखों, बनिया व ब्राह्मणों की तादाद भी ठीक ठाक है। इसलिए भाजपा को टिकटों का फैसला करते हुए जातीय समीकरण को भी ध्यान में रखना होगा। आमतौर पर स्थानीय निकाय के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़े जाते हैं लेकिन प्रत्याशी का चेहरा भी काफी मायने रखता है। इसलिए सभी दल पार्टी को वफादार लोगों के साथ-साथ ऐसे चेहरों की भी तलाश करने में लगे हैं जिनकी जेब में पार्टी के वोटों अलावा अपना वोट बैंक भी हो।

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