Edited By Yakeen Kumar, Updated: 24 Jan, 2025 08:19 PM
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हरियाणा में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के कैशलेस निःशुलक..
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हरियाणा में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के कैशलेस निशुलक इलाज के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट को लेकर संबंधित पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
इसके साथ ही कपूर ने सैंट्रल मोटर व्हीकल (11वां संशोधन) नियम, 2020 की धारा 167(8) की पालना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। बैठक में हिट एंड रन संबंधी मामलों में पीड़ितों को दिए जाने वाले मुआवजे के बारे में भी चर्चा की।
यह बैठक पंचकूला स्थित पुलिस मुख्यालय में आयोजित की गई थी जिसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, यातायात एवं राजमार्ग हरदीप दून उपस्थित रहे जबकि प्रदेश के ट्रैफिक के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।
कपूर ने बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के कैशलेस निशुल्क इलाज के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा कैशलेस योजना शुरू की गई है। श्री कपूर ने प्रदेश में इस योजना के तहत किए गए कार्यों की समीक्षा की और कहा कि यह योजना भारत सरकार द्वारा पायलट तौर पर चलाई जा रही है जिसके तहत सड़क दुर्घटना की तिथि से अधिकतम 7 दिनों की अवधि के लिए प्रत्येक सड़क दुर्घटना के लिए प्रति व्यक्ति डेढ़ लाख रुपए तक का उपचार निशुल्क किया जाता है।
इसके लिए हरियाणा में 1228 सरकारी व निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया गया है। भारत सरकार की इस योजना को आयुष्मान भारत योजना के साथ जोड़ा गया है। कपूर ने कहा कि सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों को इस बारे में पता होना चाहिए कि उन्हें घायल व्यक्ति की कब, क्या और कैसे मदद करनी है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति के ईलाज के लिए शुरूआती एक घंटा अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि इस अवधि के दौरान व्यक्ति का इलाज ठीक तरीके से हो जाए तो उसकी जान का जोखिम कम हो जाता है। कपूर ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे अस्पताल प्रबंधन तथा एंबुलेंस से बेहतर तालमेल स्थापित करें और जैसे ही पुलिस थाने में घायल व्यक्ति के बारे में सूचना प्राप्त हो तो शुरूआती 6 घंटों के भीतर सूचना वैरिफाई करें ताकि घायल व्यक्ति को इसका लाभ मिल सके।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस अधिकारी घायल व्यक्ति के ईलाज के लिए अपने अधीनस्थ इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल अर्थात् ईआरवी पर तैनात पुलिसकर्मी, राइडर आदि की ब्रीफिंग करें ताकि उनमें किसी प्रकार के संशय की स्थिति ना हो। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सड़क दुर्घटना होने पर अस्पताल द्वारा ई-डार नामक सॉफटवेयर के माध्यम से संबंधित पुलिस थाने में सूचना भेजी जाती है जिसके बाद संबंधित थाने द्वारा पुष्टि की जाती है कि व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल हुआ है अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2024 में सड़क दुर्घटना में लगभग 300 लोगों की मृत्यु कम हुई है। उन्होंने कहा कि वर्ष-2025 में हमारा लक्ष्य है कि हम सड़क दुर्घटना से मृत्यु के आंकड़े पिछले वर्ष की अपेक्षा को कम से कम 25 प्रतिशत और कम करें।
इसके साथ ही कपूर ने बैठक में सैंट्रल मोटर व्हीकल(11वां संशोधन) नियम, 2020 की धारा 167(8) की पालना करने को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस के पास बड़ी संख्या में ट्रैफिक चालान बकाया है जिनकी पेंडेसी कम करने के लिए हरियाणा पुलिस द्वारा जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। जिन वाहनों के ट्रैफिक चालान लंबित है वे समय रहते इन्हें भरना सुनिश्चित करें अन्यथा पुलिस द्वारा ऐसे वाहनों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। ऐसे वाहन चालकों को रोकते हुए उनसे ट्रैफिक के ऑनलाइन चालान भरने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि वह जल्द से जल्द ट्रैफिक चालान भरना सुनिश्चित करें ताकि उन्हें यात्रा के दौरान असुविधा ना हो।
इसके अलावा, बैठक में कपूर ने हिट एंड रन सड़क दुर्घटनाओं संबंधी मामलों कीे भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कई बार अज्ञात वाहन चालको द्वारा दूसरे वाहनों को टक्कर मार दी जाती है और वे मौके से फरार हो जाते हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि यदि हिट एंड रन मामलों में दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उन्हें ₹200000 का मुआवजा दिया जाता है। इसी प्रकार, घायल व्यक्ति को ₹50000 की राशि का मुआवजा दिया जाता है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे दुर्घटना होने पर ऐसे मामलों की एफआईआर की प्रति तुरंत संबंधित जिला के उपायुक्त तथा डीटीओ को भेजना सुनिश्चित करें।