Edited By Mohammad Kumail, Updated: 03 Sep, 2023 06:09 PM
बीते कई सालों से खेती किसान के लिए घाटे का सौदा बन कर रह गई है। ऐलनाबाद क्षेत्र में नरमा व धान की खेती बहुतायत रूप से होती है। लेकिन नरमा में गुलाबी सुंडी का आक्रमण होने के चलते व मुच्छल धान की किस्म 1401 में झंडा रोग व फंगस आ जाने के चलते पिछले तीन...
ऐलनाबाद (सुरेन्द्र सरदाना) : बीते कई सालों से खेती किसान के लिए घाटे का सौदा बन कर रह गई है। ऐलनाबाद क्षेत्र में नरमा व धान की खेती बहुतायत रूप से होती है। लेकिन नरमा में गुलाबी सुंडी का आक्रमण होने के चलते व मुच्छल धान की किस्म 1401 में झंडा रोग व फंगस आ जाने के चलते पिछले तीन चार वर्षों से किसान की फसल नहीं हुई है। जिससे किसान आर्थिक रूप से कमजोर हुआ है। लेकिन गत वर्षों की तुलना में इस वर्ष नरमा में गुलाबी सुंडी का प्रकोप न के बराबर हुआ है और किसान की नरमा की फसल इस वर्ष अच्छी निकल रही है। लेकिन कोढ़ में खाज यह है कि किसान को इस वर्ष नरमा के दाम गत वर्ष की अपेक्षा प्रति क्विंटल बहुत ही कम मिल रहा है।
गत वर्ष जो नरमा का दाम 10 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल था वहीं आज नरमा का दाम 6500 रुपए प्रति क्विंटल से 6800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है, जो कि तकरीबन 3000 रुपए प्रति क्विंटल कम है। लेकिन क्षेत्र का किसान फिर भी खुश है व अपनी आजीविका से सन्तुष्ट है। क्योंकि नरमा का झाड़ दूसरे रूप से इसे उत्पादन प्रति एकड़ कहा जाए, तो यह इस वर्ष अधिक है। इस प्रकार नरमा की काश्त करने वाला किसान भी इस वर्ष खुश नजर आ रहा है। दूसरी तरफ जो किसान धान की खेती करता है, उन किसानों ने इस वर्ष बेशक धान की 1401 किस्म की रोपाई से तौबा कर ली है, लेकिन मशीन बिजाई से किसान इस बार मुच्छल धान 1401 किस्म धान की सीधी बिजाई कर अपनी किस्मत आजमा रहा है। चूंकि 1401 किस्म अधिकतम 30 से 32 क्विंटल तक झाड़ दे जाती है और गत वर्ष यह बाजार में 5000 रुपए प्रति क्विंटल से भी अधिक दामो में बिकी है। इसलिए किसानों का अधिक आर्थिक लाभ लेने के लिए इस से मोह भंग नहीं हुआ है। लेकिन कुछ किसानों ने 1401 धान से तौबा कर अगेती किस्म की वैरायटी जैसे 1509,1692 व 1847 किस्म जो कि रोपाई के मात्र 90 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती है। कुछ किसानों ने इसकी अगेती काश्त की, जो कि पक कर तयार हो मंडियों में आ गई है।
क्षेत्र के जागरूक किसान कमल सिंह का कहना है कि गत वर्ष की अपेक्षा उनके धान की अधिक कीमत मिल रही है। जो धान उन्होंने गत वर्ष 3200 रुपए प्रति क्विंटल बेचा था। वहीं इस वर्ष उनका धान 3700 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है जो कि गत वर्ष की अपेक्षा 500 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है। इस प्रकार अगेती किस्म के धान की आवक ऐलनाबाद में शुरू हो गई है और अगेती किस्म के धान गत वर्ष की अपेक्षा ऊंचे दामो पर बिक रहे हैं। इसके अलावा जागरूक किसान महेंद्र सिंह का कहना है कि बेशक उनका धान गत वर्ष की अपेक्षा महंगे दामों पर बिक रहा है, लेकिन फिर भी उन्हें कम दाम मिल रहे हैं। चूंकि धान का दाम चावल के दामों से आधे दाम पर होते हैं। बाजार में चावल आज भी 9600 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है जिसके चलते उनकी फसल के दाम 4800 रुपए प्रति क्विंटल होने चहिए, जो कि 3700 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहे हैं। इस विषय पर जब एक अन्य जागरूक किसान व तकनीकी ज्ञान से खेती करने वाले गुरजीत सिंह मान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बासमती धान का सरकार द्वारा कोई एमएसपी निर्धारित नहीं किया गया है और न ही इसे सरकार खरीदती है। सरकार केवल गैर बासमती धान खरीदती है, जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित है और इसकी सरकारी बोली भी होती है। लेकिन बासमती धान की सरकारी बोली नहीं होती बल्कि प्राइवेट बोली होती है जो कि खरीददार अपना हर नफा नुकसान देख कर हो धान खरीदता है और अपने ही मानक तय करता है। लेकिन किसान फिर भी वर्तमान में मिलने वाले धान के दामो से खुश हैं।
अब देखना ये है कि जो आगे धान की फसल जो नवम्बर माह में बहुतायत रूप से आनी है तब तक यह दाम यही बने रहते हैं, कम होते हैं या फिर और अधिक होते हैं। यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन वर्तमान में जो दाम है इससे क्षेत्र का किसान खुश है और खुशहाल है।
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