Edited By Saurabh Pal, Updated: 08 May, 2024 07:24 AM
हरियाणा में लोकसभा चुनाव की वोटिंग से पहले भाजपा की प्रदेश सरकार पर संकट के बादल गहरा गए हैं। मार्च में भाजपा जजपा का गठबंधन टूटने के बाद जिन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से दोबारा भाजपा सरकार सत्ता में आई थी....
रोहतक(दीपक भारद्वाज): हरियाणा में लोकसभा चुनाव की वोटिंग से पहले भाजपा की प्रदेश सरकार पर संकट के बादल गहरा गए हैं। मार्च में भाजपा जजपा का गठबंधन टूटने के बाद जिन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से दोबारा भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, उनमें से अब तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापिस ले लिया है। तीनों विधायकों ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने सामूहिक रूप से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के समर्थन का ऐलान किया है।
भाजपा से निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापिस लेने के बाद से एक बार फिर सूबे की सरकार संकट में आ गई है। जिन 3 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापिस लिया है, उसमें चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, पूंडरी से विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर का नाम शामिल है। तीनों नेताओं ने भूपेंदर सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान की मौजूदगी में यह सरकार से समर्थन वापिस लेने का ऐलान किया। निर्दलीय विधायकों ने एक सुर में कहा कि जनता बीजेपी को आजमा चुकी है। अब बीजेपी को अवसर देने का कोई औचित्य नहीं बनता। क्योंकि इस सरकार में हर वर्ग बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ते अपराध, फैमिली आईडी, प्रॉपर्टी आईडी से दुखी है। किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी, सरपंच, नंबरदार समेत हर वर्ग आज आंदोलनरत है। सरकार में रहते हुए उन्होंने अलग-अलग मौकों पर बीजेपी को चेताने का काम किया। लेकिन बीजेपी ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी।
बता दें कि हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। मनोहर लाल व रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद कुल प्रदेश में 88 विधायक हैं। जिसमें 40 भाजपा, 30 कांग्रेस, 10 जेजेपी, 1 हालोपा, 1 इनेलो और 6 निर्दलीय विधायक हैं। वर्तमान समय में 6 में से 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भाजपा को प्राप्त है और तीन ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। गौरतलब है कि भाजपा के पास अब 88 में 43 विधायकों का समर्थन है। जो बहुमत से कम है।
पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने मांग की कि हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई है। इसलिए सीएम नायब सैनी को इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव करवाने चाहिए। इसके साथ ही हुड्डा ने प्रदेश में चुनाव न होने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। इसके अलावा भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीनों विधायकों का समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विधायकों ने यह फैसला लिया है। सही समय पर लिया गया उनका सही फैसला रंग जरूर लाएगा।
रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र सिंह हुडा ने कहा, "प्रदेश में हालात भाजपा के खिलाफ बन गए हैं। बदलाव निश्चित है। भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई है। इन्होंने 48 विधायकों की सूची दी है, उनमें से कुछ विधायकों के इस्तीफे हुए हैं क्योंकि वे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ निर्दलीय विधायकों ने आज भाजपा से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने का काम किया..."
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