Edited By Manisha rana, Updated: 29 Nov, 2023 03:18 PM

किसान परिवार की तीन पीढियों को करीब 24 वर्ष तक मालामाल करने वाली भैंस के निधन पर जहां विधि विधान से क्रिया कर्म किया। वहीं उसकी मौत के बाद न केवल अस्थियां विसर्जित की बल्कि सत्रहवीं की भी रस्में निभाई।
चरखी दादरी (पुनीत) : किसान परिवार की तीन पीढियों को करीब 24 वर्ष तक मालामाल करने वाली भैंस के निधन पर जहां विधि विधान से क्रिया कर्म किया। वहीं उसकी मौत के बाद न केवल अस्थियां विसर्जित की बल्कि सत्रहवीं की भी रस्में निभाई। भैंस को “लाडली” के नाम से पुकारने वाला किसान परिवार द्वारा मृत्युभोज का आयोजन किया गया। इसके लिए बकायदा नाते-रिश्तेदारों के अलावा ग्रामीणों को आमंत्रण भी भेजा गया और लोगों को देशी घी का लजीज खाना भी परोसा गया। किसान परिवार के अपने पालतू पशु के प्रति प्रेम की चर्चा का विषय बना हुआ है।
24 बार कटियों को जन्म देकर बनाया रिकार्ड
बता दें कि गांव चरखी निवासी किसान सुखबीर सिंह के पिता रिसाल सिंह करीब 28 साल पहले एक भैंस लेकर आए थे। जिससे पैदा हुई कटिया का पालन-पोषण किया और किसान के घर भैंस ने लगातार 24 बार कटिया को जन्म देकर रिकार्ड बनाया। “लाडली” भैंस का परिवार की तीन पीढ़ियों ने दूध पिया और उससे जन्म लेने वाले बच्चों को तैयार करते हुए काफी पैसा भी कमाया। पिछले दिनों अपनी पालतू भैंस का निधन पर होने पर परिवार ने पूरा शोक मनाते हुए विधि विधान से सभी क्रिया क्रम करते हुए अस्थियां भी विसर्जित की। भैंस की सत्रहवीं पर किसान परिवार ने अपने घर पर मृत्युभोज का आयोजन किया। इसके लिए बकायदा लोगों को आमंत्रण भी भेजा गया। मृत्युभोज के दौरान नाते-रिश्तेदारों को देशी घी का लजीज भोजन भी परोसा गया। पालतू पशु के निधन पर मृत्युभोज कार्यक्रम क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
“लाडली” को मानते थे परिवार का सदस्य
किसान सुखबीर सिंह ने बताया कि वे अपनी भैंस को “लाडली” के नाम से पुकारते थे और परिवार का सदस्य मानते थे। उनके तीन पीढ़ियों ने भैंस का दूध पिया है। भैंस ने अपने पूरे जीवन में लगातार 24 बार कटिया को ही जन्म देते हुए रिकार्ड बनाया है। अपनी भैंस से इतना प्यार था कि उसने उसकी मौत के बाद सभी क्रिया-क्रम करते हुए मृत्युभोज का आयोजन करवाया।
नाते-रिश्तेदारों को देशी घी का लजीज खाना परोसा
किसान सुखबीर ने बताया कि भैंस के मृत्युभोज कार्यक्रम में देशी घी का खाना तैयार किया गया। जिसमें चावल, लड्डू, जलेबी, गुलाब जामुन, सब्जी व पूरी शामिल रही। वहीं शादी की तरह गोल-गप्पे भी परोसे गए। किसान के अनुसार करीब चार सौ नाते-रिश्तेदार भैंस के मृत्युभोज कार्यक्रम शामिल हुए।
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