Edited By Isha, Updated: 02 Sep, 2025 02:49 PM

सरकारी प्राइमरी स्कूलों की दयनीय स्थिति ने शिक्षित भारत के सपने को चुनौती दी है। विश्कर्मा कॉलोनी के प्राइमरी स्कूल में 131 बच्चों के लिए केवल दो कमरे और एक बरामदे की व्यवस्था है, जिसके कारण अभिभावकों ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए स्कूल के गेट पर ताला...
जींद(अमनदीप पिलानिया): सरकारी प्राइमरी स्कूलों की दयनीय स्थिति ने शिक्षित भारत के सपने को चुनौती दी है। विश्कर्मा कॉलोनी के प्राइमरी स्कूल में 131 बच्चों के लिए केवल दो कमरे और एक बरामदे की व्यवस्था है, जिसके कारण अभिभावकों ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए स्कूल के गेट पर ताला लगा दिया।
बारिश के मौसम में बच्चे 20 मिनट तक बाहर खड़े रहे, क्योंकि स्कूल में बैठने की पर्याप्त सुविधा नहीं है। पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चे इन सीमित संसाधनों में पढ़ने को मजबूर हैं।अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल में बच्चों के लिए न तो बैठने की उचित व्यवस्था है और न ही पढ़ाई के लिए समुचित सुविधाएँ।
इस स्थिति से क्षुब्ध होकर उन्होंने स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया। सूचना मिलने पर खंड शिक्षा अधिकारी राजपाल देशवाल मौके पर पहुँचे और अभिभावकों को समझाकर ताला खुलवाया। खंड शिक्षा अधिकारी राजपाल देशवाल ने कहा, "हमें सूचना मिली थी कि विश्कर्मा कॉलोनी के प्राइमरी स्कूल के गेट पर अभिभावकों ने ताला लगाया है। हमने मौके पर जाकर स्थिति को संभाला और ताला खुलवाया। स्कूल में जगह की कमी है, यह सत्य है।
हमने अभिभावकों को समझाया और वैकल्पिक स्थान की तलाश शुरू कर दी है।"उन्होंने बताया कि स्कूल में 131 बच्चों के लिए केवल दो कमरे और एक बरामदा उपलब्ध है, जिसके कारण पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। अभिभावकों की शिकायतों को दूर करने का प्रयास किया गया है, और अब स्कूल में शांतिपूर्ण ढंग से कक्षाएँ संचालित हो रही हैं।यह घटना सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को रेखांकित करती है, जो बच्चों के भविष्य और शिक्षित भारत के लक्ष्य के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती है।