Edited By Shivam, Updated: 10 Oct, 2019 04:35 PM
मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बार अपना वायदा पूरा नहीं कर पाए, चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व वह जनसभाओं में कहते थे कि मंच के ऊपर बैठे लोग नीचे और मंच से नीचे बैठे लोग ऊपर आ सकते हैं। कार्यकत्र्ताओं को यह बात सुनकर काफी सुकून मिलता था, मंच पर बैठने...
मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बार अपना वायदा पूरा नहीं कर पाए, चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व वह जनसभाओं में कहते थे कि मंच के ऊपर बैठे लोग नीचे और मंच से नीचे बैठे लोग ऊपर आ सकते हैं। कार्यकत्र्ताओं को यह बात सुनकर काफी सुकून मिलता था, मंच पर बैठने वाले दो मंत्रियों सहित 12 विधायकों को तो जमीन सुंघा दी गई, परंतु मंच से नीचे जमीन पर बैठने वाले कार्यकत्र्ताओं को इस बार किस्मत का दोष मानकर संतोष करना पड़ेगा। कार्यकत्र्ता कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बार आधा वादा निभाया है।
पार्टी ने इस बार दो जिला अध्यक्षों प्रमोद विज को पानीपत और सुरेंद्र पूनिया को बरवाला से मैदान में उतारा है और जिला महामंत्रियों को भी चुनावी रण में उतरने का मौका मिला है। प्रदेश महामंत्री चौधरी वेदपाल को मौका तो मिला परंतु अपने प्रिय निर्वाचन क्षेत्र से नहीं। दो जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा बल्लभगढ़ और योगेंद्र पालीवाल रेवाड़ी से चुनावी मैदान में उतरने की अपनी हसरत पूरी नहीं कर सके। अहीरवाल में रिश्ते में जीजा-साला पार्टी की टिकट पाने में कामयाब हो गए तो दो पुराने समधी अपने पांडित्य कौशल से फिर मैदान में आ जुटे हैं।
पार्टी के प्रोटोकॉल के नाते पदाधिकारी पहले भी मंच की शोभा बढ़ाते थे। जो कार्यकत्र्ता मंच के नीचे बैठते थे वे अब चुनावी रण में पिछड़ गए हैं। कहीं खिलाड़ी आ गए तो कहीं दल-बदलू आकर उम्मीदवार बन बैठे हैं, जमीन पर बैठने वाले कार्यकत्र्ताओं को अब सरकार में मान-सम्मान का आश्वासन दिया जा रहा है।