लॉकडाउन में मुरझा गया फूलाें का काराेबार, किसानों को करोड़ों का नुकसान

Edited By vinod kumar, Updated: 19 May, 2020 02:39 PM

loss of crores to flower growers in lockdown

लॉकडाउन के चलते जहां उद्योग धंधों को नुकसान हुआ है, वहीं आधुनिक और उन्नत खेती करने वाले किसानों को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है। बहादुरगढ़ में फूलों की खेती करने वाले किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। 14 एकड़ में लगे करोड़ों फूल खिलकर सूख गए हैं।

बहादुरगढ़ (प्रवीण): लॉकडाउन के चलते जहां उद्योग धंधों को नुकसान हुआ है, वहीं आधुनिक और उन्नत खेती करने वाले किसानों को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है। बहादुरगढ़ में फूलों की खेती करने वाले किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। 14 एकड़ में लगे करोड़ों फूल खिलकर सूख गए हैं।

लिलियम, कारनेशन और जिप्सोफिला जैसे फूल, जिनकी एक कली 50 से 100 रूपये में बिकती थी आज उन्हें कोई खरीदार नही मिल रहा है। मार्च से जून तक शादी, राम नवमी और ईद के मौके पर फूलों से बंपर कमाई होती थी, लेकिन इस बार कोरोना ने जहां इंसानों को बिमार तो वहीं फूलों को मुरझाने पर मजबूर कर दिया है।

खेत खलिहान में लहलहाते फूल मन को आनन्दित और सुगन्धित कर जाते हैं। लेकिन कोरोना को हराने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने इन खिलखिलाते फूलों को भी मुरझाने पर विवश कर दिया है। किसी के हाथों में खुशियों का तोहफा बनकर जाने वाले ये फूल खेतों में खड़े खड़े मुरझा गए हैं। विपरित परिस्थितियों में बहादुरगढ़ के टांडाहेड़ी गांव में 14 एकड़ में फूलों की खेती की जा रही है।

इस बार 3 एकड़ में रजनीगंधा और 11 एकड़ के पॉलीफार्म और नेट हाउस में लिलियम, ग्लेडिला, कारनेशन और जिप्सोफिला जैसे कीमती सुन्दर और महकते फूलों की खेती की गई थी। मार्च से जून तक इन फूलों की जबरदस्त डिमांड होती है। इन दिनों में रामनवमी और ईद जैसे बड़े त्यौहारों पर भी फूलों की खपत काफी होती है। लेकिन इस बार लॉकडाउन ने फूलों के साथ साथ फूल उत्पादक किसान की कमर भी तोड़ दी है। खेतों में खड़े खड़े फूल मुरझा गए हैं।

हरियाणा कृषि कमृण अवार्ड, एग्रो लीडरशिप अवार्ड विजेता सीलकराम धनखड़ की अगुवाई में ये फूलों की खेती हो रही है। सीलकराम ने बताया कि लिलियम की एक कली खिलने पर 25 रूपये, कारनेशन पर 40 और जिप्सोफिला पर 50 रूपये की लागत आती है। 11 एकड़ के नेट हाउस और पालीफार्म मेें लाखों पौधे लगे हुए हैं। लेकिन बाजार बंद है। फूलों की मंडियां बंद है। फूलों के शौकीन घरों में बंद हैं। अपनी सुंदरता और सुगंध से मन मोहने वाले फूल खेतों में नाउम्मीद खड़े खड़े मुरझा गए हैं। फूलों की खेती का ना तो इंश्योरेंस होता है और ना ही अब तक सरकार ने फूल उत्पादक किसानों को राहत दी है। बावजूद इसके किसान ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

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