दोस्त की मौत से व्यथित हुए तो छोड़ दी सरकारी नौकरी, अब जैविक खाद बनाने में जुट गए

Edited By Shivam, Updated: 30 Nov, 2021 04:55 PM

left government job now engaged in making organic fertilizers

रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल के कारण हुई दोस्त की मौत ने इतना व्यथित किया कि बैंक की सरकारी नौकरी छोड़ वो जैविक उर्वरक बनाने में जुट गए। इनका उद्देश्य एक ही था कि बढ़ते रासायनिक खादों के प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक किया...

फतेहाबाद (रमेश भट्ट): रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल के कारण हुई दोस्त की मौत ने इतना व्यथित किया कि बैंक की सरकारी नौकरी छोड़ वो जैविक उर्वरक बनाने में जुट गए। इनका उद्देश्य एक ही था कि बढ़ते रासायनिक खादों के प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके, ताकि उसके दोस्त की तरह किसी और को जान न गंवानी पड़े। उनके इस प्रयास को अब पंख लगते नजर आ रहे हैं। लोगों में जैविक खाद और जैविक खेती के प्रति जागरूकता आने लगी है। 

दरअसल, फतेहाबाद के टोहाना के रहने वाले दीपक माडिय़ा बैंक की बढिय़ा नौकरी में थे। उस दौरान उनके एक मित्र के साथ घटी घटना ने उनके जीवन का मकसद बदल दिया। दीपक कुमार ने बताया कि वह बैंक के अधिकारी थे, उनके किसी सहयोगी की बीमारी के कारण मौत हो गई, जिसका कारण फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग बताया गया। यह बात उनके जेहन में घर कर गई और उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर जैविक खेती करने का इरादा कर लिया। 

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दीपक ने बताया कि उन्होंने कुछ वर्ष पहले सरकार के सहयोग से बायोगैस प्लांट लगाया तथा इससे बनने वाले उत्पादों के बारे में जानकारी जुटाई। उन्हें पता चला कि रासायनिक खाद से की गई खेती मनुष्य के शरीर के अंगों पर बुरा असर डालती है, जबकि जैविक खाद फसलों और जमीन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके अच्छे परिणाम सामने आने पर उन्होंने इस धंधे को काफी बढ़ाया और आज उनके द्वारा निर्मित जैविक खाद की मांग उत्तरी भारत के अनेक राज्यों में निरंतर बढ़ रही है। किसान इस तरफ अग्रसर हो रहे हैं तथा काफी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि जैविक खाद केवल वेस्ट मटेरियल पत्ते-पौधों आदि से तैयार की जाती है जो कि फसलों के लिए संजीवनी का काम करती है। जैविक खेती को लेकर किसानों ने बताया कि फसलों बागवानी के लिए जैविक खाद उनके लिए वरदान बन कर आई है, जबसे उन्होंने इस खाद का प्रयोग शुरू किया है, उनकी खेती के उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई है वह खुद भी बीमारियों से बच रहे हैं।
 

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