जानें कब लगेगा होलाष्टक और क्यों इन दिनों को माना जाता है अशुभ

Edited By Isha, Updated: 18 Feb, 2020 11:21 AM

know when holashtak will take place and why it is considered unlucky these days

शादियों का मौसम चल रहा है परंतु  फरवरी का आखिरी सहालग 28 फरवरी को होगा। तीन मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो रही है। होली से पहले ये आठ दिनों का समय अशुभ माना गया.....

फरीदाबाद (महावीर गोयल) : शादियों का मौसम चल रहा है परंतु  फरवरी का आखिरी सहालग 28 फरवरी को होगा। तीन मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो रही है। होली से पहले ये आठ दिनों का समय अशुभ माना गया है। इसलिए इस अवधि में शुभ कार्य करने की मनाही होती है। नौ मार्च को गोधूलि वेला में होली दहन होगा। 10 मार्च को धुलैंडी का त्योहार मनाया जाएगा।होलाष्टक के प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है।

इस वजह से इन आठों दिन में मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरू किए गए कार्य के बनने के बजाय बिगडऩे की संभावना ज्यादा रहती है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को इन आठों ग्रहों की नकारात्मक शक्तियों के कमजोर होने की खुशी में लोग अबीर-गुलाल आदि छिड़ककर खुशियां मनाते हैं, जिसे होली कहते हैं। 28 फरवरी तक विवाह स्थलों पर सबसे ज्यादा शादियां होंगी।

14 मार्च को सूर्य के गुरु बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश करने से फिर से एक महीने तक शहनाइयों की गूंज थम जाएगी। 14 मार्च से 13 अप्रैल तक सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से मीन मलमास रहेगा। इस दौरान शादी ब्याह आदि मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। होलिका अष्टक नौ मार्च को होलिका दहन के बाद समाप्त हो जाएंगे। होलिका अष्टक में मांगलिक कार्य वर्जित है। 25 फरवरी में फुलैरा दूज पर सर्वाधिक सहालग होंगे।

होलाष्टक का अर्थ
होलाष्टक दो शब्दों को मिलाकर बना है। पहला होला और दूसरा अष्टक। इसे मिला देने से होलाष्टक शब्द बनता है। इसका अर्थ होली से पूर्व के 8 दिन। इन 8 दिनों को ही होलाष्टक माना गया है। होली का पर्व इस बार 9 और10 मार्च को है जिसमें होलिका दहन 9 मार्च को रंगों की होली 10 मार्च 2020 को है। होली को फाल्गुनी भी कहते हैं क्योंकि होली का पर्व फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होलाष्टक में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और विद्यारंभ जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। वहीं घर में किसी भी नई वस्तु को नहीं लाना चाहिए।  इसके अतिरिक्त वाहन, भवन, सोना, रत्न की खरीदारी से भी बचना चाहिए।  

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