Edited By Isha, Updated: 25 Jan, 2020 06:12 PM
भले ही भारत और पाक के बीच में रिश्ते इतने कायम न हो लेकिर सरहद पार आज भी ऐसे एतिहासिक स्थल है जिन पर जाने के लिए लोग तरस
रादौर(कुलदीप सैनी)- भले ही भारत और पाक के बीच में रिश्ते इतने कायम न हो लेकिर सरहद पार आज भी ऐसे एतिहासिक स्थल है जिन पर जाने के लिए लोग तरस रहे है लेकिन रादौर के एक सिख युवक ने अपने पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए साइकिल पर स्वार होकर पाकिस्तान के करतारपुर साहिब पहुंचा। यहा पर माथा टेकने के बाद वह साइकिल से वापिस लौटा तो लोगो ने भी इसका भरपूर स्वागत किया और सिमरनजीत सिंह को श्रवण का नाम दे दिया।
पिता की यादगार साइकिल पर गया गुरूद्वारे
दरअसल एक पिता की इच्छा थी कि वह पाकिस्तान के करतारपुर साहिब के दर्शन करे, लेकिन पिता की तो अचानक मौत हो गई लेकिन उस इच्छा को पूरा करने के लिए बेटा उसी साइकिल पर सवार होकर पाकिस्तान की और चल दिया जिस साइकिल पर पिता ने पूरी जिंदगी व्यतीत की थी। पिता तो दुनिया में न थे लेकिन बेटा सिमरनजीत सिंह अपने पिता की यादगार साइकिल पर ही करतारपुर साहिब की यात्रा पर निकल पडा। हालकि उसे जो विजा लगा था वह भी धार्मिक था और वह साइकिल पर स्वार होकर इस कडकडाती ठंड में पाकिस्तान की और रवाना हो गया।
साइकिल पर लगाया बिरादरी का बिल्ला
हालाकि रास्ते में उसे मुश्किलों का भी समाना करना पडा, लेकिन पिता की इच्छा उसके लिए डा मायना रखती थी। पुरानी साइकिल पर अपने पिता की बिरादरी का लेवल मल्ली लगाकर सिमरनजीत सिंह ने पाक की सीमा को पार कर करतारपुर साहिब पहुंचा। सिमरजीत सिंह की मां ने भी उसका स्वागत किया और कहा कि उसने अपने पिता की जीते जी तो यात्रा पूरी नही कर सका लेकिन उनकी यादगार साइकिल को लेकर उसने पाक की यात्रा जरूर पूरी की।
मां को नहीं बताया कि जा रहा पाकिस्तान
हालाकि सिमरजीत सिंह ने पाक जाने से पहले अपनी मां को यह नही बताया कि वह पाक जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान के हालात खराब होने के कारण उसकी मां उसे शायद पाकिस्तान जाने नही देती। इसलिए सिमरनजीत सिंह बिना बताए ही वह पाकिस्तान चले गया और वहा जाकर उसने अपनी मां को फोन कर इसकी जानकारी दी लेकिन अब जब वह वापिस लौटा है तो मां भी अपने बेटे का गुणगान करते हुए नही थक रही।