हरियाणा चुनाव: नतीजे तय करेंगे पार्टियों की दिशा-दशा

Edited By Isha, Updated: 24 Oct, 2019 09:46 AM

haryana election results will decide the direction of the parties

वीरवार को आने वाले चुनाव नतीजों से हरियाणा के राजनीतिक दलों की दिशा-दशा भी तय होगी। मतगणना के नतीजे यदि भाजपा के पक्ष में आए तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का पार्टी और प्रदेश में राजनीतिक वर्चस्व बढ़ेगा। यदि कांग्रेस के हाथ सत्ता आती है तो पूर्व...

चंडीगढ़ (बंसल/पांडेय): वीरवार को आने वाले चुनाव नतीजों से हरियाणा के राजनीतिक दलों की दिशा-दशा भी तय होगी। मतगणना के नतीजे यदि भाजपा के पक्ष में आए तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का पार्टी और प्रदेश में राजनीतिक वर्चस्व बढ़ेगा। यदि कांग्रेस के हाथ सत्ता आती है तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा की जोड़ी हिट साबित होगी। इन सबके बीच यदि एक दर्जन सीटों के साथ जननायक जनता पार्टी किंग मेकर के तौर पर सामने आई तो दुष्यंत चौटाला को नई राजनीतिक राह मिलेगी।

भाजपा जीती तो क्या? 
वीरवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे यदि भाजपा के पक्ष में आते हैं तो कांग्रेस के लिए झटके से कम नहीं है। वजह साफ है कि भाजपा दूसरी बार हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाएगी। भाजपा 2014 से पहले दूसरे दलों की बैसाखी के तौर पर जानी जाती रही है। भाजपा के लिए फायदेमंद बात यह रहेगी कि उसकी केंद्र में भी सरकार है। लिहाजा,यदि हरियाणा में भाजपा की सरकार नहीं बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की सांगठनिक क्षमता पर सवाल खड़े होना लाजिमी है।

कांग्रेस जीती तो क्या?
कांग्रेस यदि हरियाणा में सरकार बनाने में कामयाब रहती है तो सबसे ज्यादा नुक्सान भाजपा को उठाना पड़ेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी झटका होगा। कारण साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह हरियाणा के संदर्भ में लगातार पूर्व की हुड्डा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार पर कांग्रेस को घेरते रहे हैं। यही नहीं,मोदी लहर पर भी ब्रेक लग जाएगी। यदि कांग्रेस सरकार में आती है तो पार्टी हाईकमान में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रुतबा बढ़ जाएगा और उनकी गिनती भी देश के दूसरे बड़े नेताओं की श्रेणी में आ जाएगी। इसके अलावा भाजपा को राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर नए सिरे से ङ्क्षचतन करना होगा,क्योंकि भाजपा ने हरियाणा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज कर राष्ट्रवाद और 370 पर फोकस रखा था।

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