हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तारीख हो चुकी घोषित, विपक्ष नहीं करा पाया नेता प्रतिपक्ष तर का चुनाव

Edited By Saurabh Pal, Updated: 06 Nov, 2024 10:28 PM

haryana assembly has been declared the opposition could not conduct

चुनावी परिणाम घोषित हुए भी करीब एक महीने का समय होने वाला है, लेकिन इतने लंबे समय की अवधि में विपक्ष अब तक सदन में अपने नेता का चुनाव नहीं कर पाया है।

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : हरियाणा की 15वीं विधानसभा का गठन हो चुका है। 25 अक्टूबर को प्रो-टेम स्पीकर की ओर से सभी विधायकों को शपथ दिलाने के बाद स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होने के साथ ही अब शीतकालीन सत्र की तारीख भी घोषित हो चुकी है। चुनावी परिणाम घोषित हुए भी करीब एक महीने का समय होने वाला है, लेकिन इतने लंबे समय की अवधि में विपक्ष अब तक सदन में अपने नेता का चुनाव नहीं कर पाया है। इससे पूर्व के इतिहास को देखे तो अब से पहले नेता व विपक्ष का चुनाव करने में कभी भी इतना समय नहीं लगा है। इससे पहले हमेशा अधिकतम 2 सप्ताह के भीतर विपक्षी दल की ओर से अपने नेता का चुनाव किया जाता रहा है। इस बार एक महीने के करीब का समय होने और विपक्ष की ओर से अपने नेता का चुनाव नहीं किए जाने के कारण यह संशय हो रहा है कि कहीं पहली बार विधानसभा का सत्र नेता विपक्ष के बिना तो नहीं होगा। 

20 साल बाद इतना लंबा इंतजार

हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में 20 साल बाद ऐसा हो रहा है कि किसी पार्टी को प्रदेश में नेता विपक्ष का नाम तय करने में इतना समय लग रहा है। इसका मुख्य कारण कांग्रेस की ओर से लगातार तीन चुनाव का हारना और सभी संभावनाओं और एग्जिट पोल के बावजूद बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाना है, साथ ही कांग्रेस नेताओं की आपसी खिंचतान भी इसका एक बड़ा कारण है। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम घोषित होने के करीब दो सप्ताह के दौरान ही नेता विपक्ष चुन लिए गए थे, लेकिन 2024 के संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अब तक अपने नेता का नाम तय नहीं कर पाई है। इससे पहले 2005 के चुनाव में 27 फरवरी को परिणाम घोषित किए गए और पहले सप्ताह में ही ओपी चौटाला को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया गया। 2009 में भी चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ओपी चौटाला को ही नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया। 2014 में चुनावी परिणाम घोषित होने के 8 दिन के भीतर ही अभय चौटाला के नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया। 2019 में 24 अक्टूबर को विधानसभा का चुनावी परिणाम घोषित किया गया और 2 नवंबर को भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।

कांग्रेस ने भेजे थे ऑब्जर्वर

हरियाणा में कांग्रेस की ओर से सदन के नेता का नाम तय करने के लिए चार ऑब्जर्वर नियुक्त किए थे। इनमें राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, राज्यसभा सदस्य अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल थे। इन सभी ने बीती 18 अक्टूबर को हरियाणा कांग्रेस के विधायकों के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग भी की थी, लेकिन उस समय वह सदन के नेता का नाम घोषित नहीं कर पाए थे। ऐसे में फैसला हाई कमान पर छोड़ दिया गया है। फिलहाल यदि भूपेंद्र हुड्डा के स्थान पर पार्टी किसी अन्य को नेता प्रतिपक्ष बनाती है तो उनमें गीता भुक्कल, पूर्व स्पीकर अशोक अरोड़ा और पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम चल रहे हैं। इनमें गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा पूर्व सीएम भूपेंद्र के हुड्डा के माने जाते हैं, जबकि चंद्रमोहन को सैलजा गुट से संबंधित माना जाता है। चंद्रमोहन बिश्नोई के पिता भजनलाल हरियाणा में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 13  नवंबर से शुरू होने वाले हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की सभी तैयारियां समय रहते पूरी हो जाएगी। साथ ही यह भी उम्मीद है कि सत्र से पहले कांग्रेस की ओर से सदन में अपने नेता का नाम तय कर उसकी घोषणा कर दी जाएगी, जोकि विधानसभा में नेता विपक्ष होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हरियाणा विधानसभा के सेशन में शायद यह पहला मौका होगा, जब किसी विधानसभा के पहले सत्र की शुरूआत नेता विपक्ष के बिना होगी।

गुटबाजी के चलते नहीं हो पा रहा नेता विपक्ष का चयन

कांग्रेस में चल रही गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। इसी गुटबाजी के चलते जहां सत्ता कांग्रेस के पास आते-आते रह गई। वहीं, इसी गुटबाजी के चलते एक महीने के करीब का समय गुजर जाने के बावजूद कांग्रेस सदन में अपने नेता का चुनाव नहीं कर पाई है। एक ओर जहां भूपेंद्र हुड्डा गुट चुनाव में मिली हार के बावजूद हरियाणा कांग्रेस में अपना दबदबा कायम रखना चाहता है। वहीं, कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा गुट किसी भी सूरत में हुड्डा को पार्टी में इस बार मजबूत नहीं होने देना चाह रहा। यहीं कारण है कि उनकी ओर से भूपेंद्र हुड्डा और गुट के नेताओं की ओर से की जाने वाली कार्रवाई पर लगातार पलटवार किया जा रहा है। 

13 नवंबर से शुरू होगा सत्र

हरियाणा में विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र अब 13 नवंबर से शुरू होगा। विधानसभा का यह सत्र तीन चार का हो सकता है। बताया जा रहा है कि 13, 14 व 15 नवंबर को तीन दिन तक लगातार सत्र चलेगा। इसके बाद 16 व 17 नवंबर को शनिवार और रविवार का अवकाश होगा। इसके बाद 18 नवंबर को फिर से सत्र की कार्यवाही होगी। इस सत्र में कई मुद्दों पर चर्चा होने के साथ ही अंतरिम बजट का प्रारूप भी पेश किया जा सकता है।

सबसे पहले राज्यपाल का अभिभाषण होगा

13 नवंबर को सत्र की शुरूआत हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के अभिभाषण के साथ होगी। इसके बाद इसके बाद विपक्ष की ओर से इस पर चर्चा की जाएगी। बाद में मुख्यमंत्री की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इसके अलावा अंतरिम बजट के प्रारूप को पेश किया जाएगा, क्योंकि नई सरकार के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार को बजट का प्रावधान रखना होगा। बता दें कि पहले विधानसभा का सत्र 8 नवंबर से शुरू होने की चर्चा थी, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते इस तारीख को अब आगे बढ़ाया गया है। 

शुरू हो गई शीतकालीन सत्र की तैयारियां

हरियाणा की 90 विधायकों वाली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के 48 विधायक है। इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी सरकार को अपना समर्थन दे रखा है। इसके चलते विधानसभा में बीजेपी समर्थित विधायकों की संख्या 51 हो गई है। वहीं, विधानसभा के नव निर्वाचित अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने भी सत्र को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। हाल ही में उन्होंने सत्र को लेकर सचिवालय के अधिकारियों की बैठक ली थी और उन्हें जरूरी दिशा निर्देश भी दिए थे। कल्याण ने बैठक में विधानसभा अधिकारियों और स्टाफ को सकारात्मक रहने तथा अनुशासन के दायरे में रहकर काम करने के लिए प्रेरित किया था

सीएम नायब सैनी पेश करेंगे अंतरिम बजट

विधानसभा सत्र की शुरुआत राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय के अभिभाषण से होगी। सत्र में हरियाणा सरकार की ओर से वित्त मंत्री अंतरिम बजट पेश करेंगे। मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास ही वित्त मंत्रालय है। पिछले मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूरे पांच साल तक राज्य के वित्त मंत्री रहे थे।

25 अक्टूबर को दिलाई गई थी विधायकों को शपथ

बता दें कि 25 अक्टूबर को हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन की शुरूआत हुई थी। सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर की ओर से सभी विधायकों को शपथ दिलाई गई थी। हालांकि इस दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच प्रोटेम स्पीकर और कार्यवाहक स्पीकर के पद को लेकर बहस भी हुई थी। उस दौरान प्रोटेम स्पीकर के रूप में रघुवीर कादियान ने सभी विधायकों को शपथ दिलाई थी। बाद में हरविंद्र कल्याण को स्पीकर और डॉ. कृष्ण मिड्ढा को डिप्टी स्पीकर बनाया गया था।

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