पहली बार कड़े बहुकोणीय मुकाबले के बन रहे आसार

Edited By Deepak Paul, Updated: 12 Jan, 2019 10:31 AM

for the first time the tough multipurpose match

हरियाणा में वर्ष 2014 में पहली बार अपने बूते सरकार बनाने वाली भाजपा के करीब सवा 4 साल के शासनकाल में पहली बार होने जा रहे विधानसभा उप-चुनाव में जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं कांग्रेस, इनैलो-बसपा गठबंधन व...

जींद(अरोड़ा): हरियाणा में वर्ष 2014 में पहली बार अपने बूते सरकार बनाने वाली भाजपा के करीब सवा 4 साल के शासनकाल में पहली बार होने जा रहे विधानसभा उप-चुनाव में जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं कांग्रेस, इनैलो-बसपा गठबंधन व जननायक जनता पार्टी सहित कई अन्य दलों के लिए भी यह उप-चुनाव एक बड़ी अग्रि परीक्षा माना जा रहा है। हरियाणा की सत्ता के इस सैमीफाइनल की चुनावी जंग में इस बार प्रदेश के 5 बड़े दल मैदान में हैं जबकि 1967 से लेकर 2014 तक हुए 12 चुनाव में जींद सीट पर 2 दलों के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है। 

पहली बार यहां पर बहुकोणीय मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं। 1991 से पहले 1967 से 1987 तक हुए 6 चुनाव में 2 ही दल आमने-सामने मैदान में थे। हालांकि इस सीट पर हुए 12 आम चुनावों में 1991 से 2014 तक के 6 चुनाव में 4 से 5 दलों के उम्मीदवार मैदान में उतरे लेकिन इन चुनावों में भी मुख्य मुकाबला 2 या 3 दलों में ही रहा। इस बार के चुनाव इसलिए दिलचस्पी का कारण बन रहे हैं, क्योंकि जींद के इस उप-चुनाव में हैवीवेट उम्मीदवारों के मैदान में आने से मुकाबला कड़ा व बहुकोणीय हो सकता है।

सभी दलों के समक्ष हैं बड़ी चुनौतियां
हरियाणा बनने के बाद जींद विधानसभा सीट पर पहली बार हो रहा उपचुनाव सभी दलों के लिए मायने रखता है। भाजपा सवा 4 साल से शासन में है। अभी पिछले साल दिसम्बर माह में हुए मेयर चुनाव में जीत से उत्साहित भाजपा इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंके हुए है। इस चुनाव के जरिए भाजपा सरकार जनता की कसौटी पर है। वहीं हाल ही में बिखराव के दौर से गुजरी इनैलो व नवगठित जननायक जनता पार्टी के लिए यह चुनाव देवीलाल की सियासी विरासत साबित करने की चुनौती है।

 

वहीं राहुल गांधी की ओर से जिस तरह से कैथल से मौजूदा विधायक रणदीप सुर्जेवाला जैसे बड़े चेहरे को मैदान में उतारा गया है, ऐसे में गुटबाजी में बंटी कांग्रेस के बड़े नेताओं को एकजुट करना भी कांग्रेस हाईकमान के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इन सबके बीच पहली बार विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के समक्ष भी अपना वजूद साबित करने की बड़ी चुनौती है। अब देखना होगा कि ये सभी दल इन चुनौतियों से पार पाते हुए कैसे अपनी जीत की राह सुगम बनाते हैं।

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