भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कैथल के पूर्व डीसी, लाखों रूपए लेकर शस्त्र लाइसेंस बनाने के लगे आरोप

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 24 Nov, 2022 08:40 PM

corruption allegations on former dc of kaithal pardeep dahiya

कैथल के डीसी के रूप में प्रदीप दहिया के कार्यकाल में जनवरी 2021 से मई 2022 तक जारी किए गए 89 शस्त्र लाइसेंस की जांच करने के आदेश जारी किए हैं।

कैथल(जयपाल): जिले के पूर्व डीसी प्रदीप दहिया पर रिश्वत लेकर शस्त्र लाइसेंस बनाने के आरोप लगे हैं। आरोप कि अपने कार्यकाल के दौरान दहिया ने प्रति लाइसेंस तीन लाख रूपए की राशि ली है। यही नहीं ऐसे लोगों को भी शस्त्र लाइसेंस जारी करने की बात सामने आई है, जिनकी पुलिस रिपोर्ट पर भी संस्य था। इन आरोपों के आधार पर प्रदेश सरकार ने पूर्व डीसी प्रदीप दहिया के कार्यकाल में बनाए गए 89 शस्त्र लाइसेंसों की जांच करवाने का फैसला लिया है।  

 

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कैथल के डीसी के रूप में प्रदीप दहिया के कार्यकाल में जनवरी 2021 से मई 2022 तक जारी किए गए 89 शस्त्र लाइसेंस की जांच करने के आदेश जारी किए हैं। डीजीपी और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) हरियाणा से मंजूरी मिलने के बाद इस पूरे मामले की जांच करनाल मंडल आयुक्त संजीव वर्मा को सौंपी गई है, जो इस मामले की जांच कर सरकार को इसकी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।

 

गृह मंत्रालय ने हरियाणा सरकार से रिपोर्ट की तलब

 

मिली जानकारी के अनुसार कैथल निवासी गुरमीत सिंह ने शस्त्र लाइसेंसों में कथित अनियमितताओं के संबंध में 26 मई, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा राज्य सरकार को शिकायत दी थी। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को इस संबंध में पत्र जारी कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। वहीं प्रदीप दहिया द्वारा जारी किए गए अभी शस्त्र लाइसेंसों में प्रयोग किए गए दस्तावेजों की जांच के लिए डीजीपी द्वारा 25 अगस्त को एक पत्र जारी होने के बाद इस पूरे मामले की जांच करनाल मंडला आयुक्त संजीव वर्मा को सौंपी गई है। उन्होंने इस मामले के संदर्भ में कैथल की डीसी संगीता तेत्रवाल से इसकी रिपोर्ट तलब की है। यदि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं, तो करनाल मंडल आयुक्त इस पूरे मामले की जांच कर आगामी कार्रवाई करने के लिए सरकार को लिखेंगे।

 

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अपने कार्यकाल में कई भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुके दहिया

 

इस पूरे मामले के बीच एक सभी के मन में केवल एक ही सवाल है कि जिस डीसी ने भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, वे खुद भी लाखों रूपए लेकर शस्त्र लाइसेंस जारी करते थे। वहीं चर्चा इस बात को लेकर भी है कि यदि प्रदीप दहिया को लेकर की गई शिकायत में दम नहीं होता तो फिर सरकार गृह मंत्रालय से इसकी रिपोर्ट क्यों मांगती और जिले के सबसे उच्च पद पर आसीन रहे एक आईएएस पर लगे इस आरोपों की जांच कमिश्नर लेवल के अधिकारी से क्यों करवाती। फिलहाल इस मामले में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा।

 

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