Edited By vinod kumar, Updated: 21 Sep, 2020 01:30 PM
लोकसभा में पिछले दिनों पारित होने के बाद कृषि से जुड़े दो विधेयक रविवार को राज्यसभा से भी पारित हो गए। इन विधेयकों लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर बनी हुई है। इसी के विरोध में आज कांग्रेस पूरे हरियाणा में विरोध प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस नेता...
डेस्क: लोकसभा में पिछले दिनों पारित होने के बाद कृषि से जुड़े दो विधेयक रविवार को राज्यसभा से भी पारित हो गए। इन विधेयकों लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर बनी हुई है। इसी के विरोध में आज कांग्रेस पूरे हरियाणा में विरोध प्रदर्शन कर रही है। लघुसचिवालयों में धरना देकर कांग्रेस नेताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
पंचकूला (उमंग): कृषि विधेयकों को लेकर आज पंचकूला में कांग्रेस ने जमकर प्रदर्शन किया। किसानों के पक्ष में उतरे कांग्रेस नेताओं ने पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित लघु सचिवालय का घेराव कर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन। उन्होंने इन बिलों को वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन में हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चौ चंद्रमोहन, कालका के विधायक चौधरी, कांग्रेस प्रवक्ता रंजीता मेहता, कांग्रेस प्रवक्ता संजीव भारद्वाज व सैंकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे।
पानीपत (सचिन): कृषि विधेयक के विरोध में पानीपत में कांग्रेसी नेता सड़कों पर उतरे। कांग्रेसी नेताओं हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल के नेतृत्व में डीसी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपेंगे। वह हाथों में तख्तियां लेकर कॄषि विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। इस दौरान नेताओं ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला को निशाने पर लिया।
पलवल (दिनेश): पलवल में भी कांग्रेस नेताओं ने लघु सचिवालय पर एकतित्र होकर विरोध प्रदर्शन किया और जिला उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। कांग्रेसी नेताओं ने कहा की केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विधेयक किसान हितैषी नहीं, बल्कि किसानों का डेथ वारंट है और हम किसी भी कीमत पर इन्हें लागू नहीं होने देंगे।
कुरुक्षेत्र (रणदीप): कांग्रेस पार्टी ने आज राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप मांग की जो कृषि अध्यादेश जारी किए गए हैं उन्हें वापस ले लिया जाए। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह तीनों अध्यादेश किसान, मजदूर, मंडी के हित में नहीं है। पिछले लंबे समय से जहां किसान और मजदूर तीनों कृषि अध्यक्षों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। वहीं विपक्षी पार्टियां भी उनके साथ उठ खड़ी हुई है।