Edited By Manisha rana, Updated: 14 Jan, 2025 07:57 AM
गत 2 वर्ष पूर्व चीका से कैथल तक जाने वाले स्टेट हाईवे का सरकार ने निर्माण तो कर दिया, लेकिन उक्त सड़क मार्ग मात्र डेढ़ वर्ष में ही दम तोड़ने लग गया है।
गुहला-चीका : गत 2 वर्ष पूर्व चीका से कैथल तक जाने वाले स्टेट हाईवे का सरकार ने निर्माण तो कर दिया, लेकिन उक्त सड़क मार्ग मात्र डेढ़ वर्ष में ही दम तोड़ने लग गया है। सड़क की बदतर हालत लोगों के लिए दुर्घटनाओं का कारण बन रही है, लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। धुंध व कोहरे के चलते सड़क में बने गहरे गड्ढे जानलेवा साबित हो रहे हैं। दूसरी ओर डेढ़ वर्ष में ही सड़क टूटकर खस्ताहाल होने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। इस मार्ग से अधिकारी ही नहीं, बल्कि सरकार के मंत्री व चंडीगढ़ सचिवालय में बैठे उच्चाधिकारी भी आते-जाते हैं, लेकिन किसी ने इस सड़क की सुध नहीं ली।
इस संबंध में किसान नेता हरदीप बदसूई, दलबीर नैन, अधिवक्ता राज सीड़ा, पार्षद काला पहलवान, दीपक, सतीश कुमार आदि ने कहा कि जब प्रशासनिक अधिकारी आए दिन इस मार्ग से गुजरते हैं तो फिर वे सड़क में बने गहरे गड्ढों की तरफ ध्यान क्यों नहीं देते? क्या प्रशासन दुर्घटनाओं का इंतजार कर रहा है? चीका से कैथल तक करीब 30 किलोमीटर तक बनी सड़क में एक किलोमीटर का टुकड़ा भी ऐसा नहीं बचा है, जिसमें कोई गड्ढा न हो।
सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का किया प्रयोग
स्थानीय लोगों जितेंद्र, वेदप्रकाश, हाकम सिंह, सुरेश कुमार, प्रवीण, रोहताश आदि ने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों व ठेकेदार की आपसी मिलीभगत के कारण मार्ग में सरकारी नियमानुसार सामग्री का प्रयोग नहीं किया गया, जिस कारण यह डेढ़ वर्ष में ही दम तोड़ गया। इससे सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आ रही, क्योंकि ठेकेदार व उच्चाधिकारियों में सांठगांठ के चलते इसके निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस मामले की बारीकी से जांच करवाई जाए, ताकि भ्रष्ट अधिकारियों के चेहरों से पर्दा हट सके।
40 दिनों तक धरना देने के बाद बनी थी सड़क
इस संबंध में सड़क सुरक्षा मंच के सदस्य व अधिवक्ता जीवन सिंह नैन व जरनैल सिंह जैली ने बताया कि 2 वर्ष पहले इस सड़क की हालत काफी दयनीय हो चुकी थी। सड़क पर बने गहरे गड्ढों के कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस पर सड़क सुरक्षा मंच का गठन कर चीका के शहीद ऊधम सिंह चौक पर लगातार 40 दिनों तक धरना देकर गहरी नींद में सोई सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों को जगाया गया था। इसके बाद सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इस हाईवे का निर्माण हुए करीब डेढ़ वर्ष का समय हुआ है, लेकिन अब इसकी हालत पहले जैसी हो गई है। जब कोई भी ठेकेदार सड़क का निर्माण करता है तो उसकी 3 वर्ष तक देखरेख की जिम्मेदारी होती है, परंतु इस मार्ग का निर्माण करने वाले ठेकेदार द्वारा इस सड़क पर पैचवर्क भी नहीं किया जा रहा है। इससे तो यह सिद्ध हो रहा है कि विभाग के अधिकारियों के साथ ठेकेदार की मिलीभगत है, जोकि ठेकेदार को मुरम्मत के आदेश नहीं दे रहे हैं।
क्या कहना है एस.डी.ओ. का
इस संबंध में पी.डब्ल्यू.डी. के एस.डी.ओ. राममेहर ने कहा कि सड़क के नीचे कोई न कोई दिक्कत है जिससे सड़क बार-बार टूट रही है। 3 वर्ष तक संंबंधित ठेकेदार की सड़क के रख-रखाव की जिम्मेदारी होती है। उक्त मार्ग के निर्माण पर 6.12 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी जुलाई 2026 तक ठेकेदार की ही है। ठेकेदार को सड़क की मुरम्मत करने के लिए कई बार नोटिस भी दिया जा चुका है, लेकिन वह सड़क ठीक करने के लिए तैयार नहीं है। इस संबंध में अब चंडीगढ़ स्थित उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
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