Edited By Isha, Updated: 11 Sep, 2020 03:56 PM
केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए लाए गए तीन अध्यादेश के खिलाफ कुरुक्षेत्र में हुए प्रदर्शन और पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए लाठीचार्ज के बाद इस पर सियासत शुरू हो गई है। प्रदेश के छोटे से लेकर बड़े नेता तक इस घटना की निंदा कर रहे हैं। उन्होंने...
डेस्कः केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए लाए गए तीन अध्यादेश के खिलाफ कुरुक्षेत्र में हुए प्रदर्शन और पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए लाठीचार्ज के बाद इस पर सियासत शुरू हो गई है। प्रदेश के छोटे से लेकर बड़े नेता तक इस घटना की निंदा कर रहे हैं। उन्होंने किसानों को पूरा समर्थन दिया है। ऐसे समय में सिर्फ विपक्ष ने ही नहीं बीजेपी पार्टी के कई नेताओं ने किसानों पर लाठियां बरसाने की कड़े शब्दों में निंदा की वहीं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला घटना के बाद ट्वीट करके मरहम लगाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया आज किसानों के साथ हुई लाठीचार्ज की घटना बहुत निंदनीय है। किसानों को हुई पीड़ा को हम अपनी पीड़ा मानते हैं। आज के घटनाक्रम की जांच होनी चाहिए। यह दुःखद घटना है, ऐसा नहीं होना चाहिए था।
उधर कैप्टन अभिमन्यु ने भी ट्वीट करत लिखा "आज कुरुक्षेत्र में किसानों पर पुलिस द्वारा बल प्रयोग किए जाने की तस्वीरें देखकर बहुत दुख हुआ. यह घटनाक्रम नहीं होना चाहिए था। मैं आशा करता हूँ की माननीय मुख्यमंत्री जी व ग्रह मंत्री जी इसका संज्ञान ले कर उचित समाधान करेंगे।
भिवानी से बीजेपी भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद चौधरी धर्मवीर ने शुक्रवार को ट्वीट किया है। इस ट्वीट में सांसद ने कहा है कि देश का किसान हमारा अन्नदाता है। सुबह सवेरे उठते ही अन्य सब्जी, फल, दूध आदि की बड़े बुजुर्गों बच्चों सहित हर इंसान को इसकी जरूरत पड़ती है। किसान मजदूर खेत में अन्य सब्जी पैदा करता है।
वही किसान गाय, भैंस व बकरी पालकर दूध की जरूरत पूरी करता है। खुद अपने बच्चों को भूखा रखकर देश की बड़ी आबादी का पेट भरता है और हमें उपलब्ध करवाता है। एक तरफ प्रगति ने भयंकर बीमारी से इस बार कपास व मूंग की फसल पूरी तरह से नष्ट कर दिया है और ऊपर से कोविड-19 विनाशकारी महामारी ने देश व दुनिया को बर्बादी के कगार पर ला दिया। ऐसे हालात में प्रजातांत्रिक देश में किसानों की बात ना सुनकर उनके ऊपर लाठीचार्ज की कार्रवाई निंदनीय है। ऐसे वक्त में कोई और समस्या पैदा ना हो, सरकार का फर्ज है कि किसान यूनियन के नेताओं से मिलकर बैठकर बात की जाए और समस्या का समाधान निकाला जाए ताकि ऐसे समय में कोई और नई समस्या पैदा ना हो।