‘राजनीतिक राजधानी’ का ‘संग्राम’ कर सकता है ‘राजधानी’ तक पहुंचने का सफर आसान

Edited By Deepak Paul, Updated: 03 Jan, 2019 09:38 AM

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हरियाणा की ‘राजनीतिक राजधानी’ कही जाने वाली जींद की धरती पर उपचुनाव के रूप में होने वाला ‘संग्राम’ तय कर सकता है कि राज्य की ‘राजधानी’ का सफर किस राजनीतिक दल के लिए आसान हो सकता है।

हिसार(संजय अरोड़ा): हरियाणा की ‘राजनीतिक राजधानी’ कही जाने वाली जींद की धरती पर उपचुनाव के रूप में होने वाला ‘संग्राम’ तय कर सकता है कि राज्य की ‘राजधानी’ का सफर किस राजनीतिक दल के लिए आसान हो सकता है। जींद से इनैलो विधायक हरीचंद मिढ़ा के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर 28 जनवरी को उपचुनाव होने हैं और इस समय सत्ताधारी भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल इस चुनाव की अहमियत को समझते हुए उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में जुट गए हैं। 

पांडूपिंडारा की धरती के नाम से विख्यात जींद को प्रदेश की राजनीतिक राजधानी इसलिए भी कहा जाता है कि क्योंकि प्रदेश के राजनीतिक दलों के लगभग सभी दिग्गजों ने अपने राजनीतिक भविष्य की शुरूआत इसी धरती से की है और चूंकि इस वर्ष के दौरान राज्य में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में जींद का यह उपचुनाव सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ प्रदेश के लोगों के लिए तो अहम है ही, वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षकों की भी इस उपचुनाव पर इसलिए खास निगाह रहेगी, क्योंकि यह उपचुनाव रा'य की सत्ता का मार्ग तय करने में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। 

इस उपचुनाव के लिए सत्ताधारी भाजपा, कांग्रेस, इनैलो-बसपा गठबंधन व जननायक जनता पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम को लेकर मंथन प्रक्रिया शुरू कर दी है तो वहीं इस उपचुनाव में उम्मीदवार तय करने में लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने पहल करते हुए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। ऐसी संभावना है कि इसी सप्ताह में सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया जा सकता है। 

जानकारी के अनुसार भाजपा चुनाव समिति की वीरवार को होने वाली बैठक में जींद उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों को लेकर चर्चा होने के साथ-साथ उम्मीदवार के नाम को अंतिम रूप दिया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर खेमों में बंटी कांगे्रस को उम्मीदवार तय करने में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। इसी प्रकार इनैलो-बसपा गठबंधन में भी उम्मीदवार तय करने को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है। गठबंधन इस उपचुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने में जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है। हो सकता है कि अन्य पाॢटयों के उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद जातीय समीकरणों को मध्यनजर रखते हुए गठबंधन बाद में अपने पत्ते खोले। सूत्रों के अनुसार अन्य दलों के कुछ नेता भी इनैलो नेतृत्व से संपर्क में हैं और पार्टी ऐसे किसी नए चेहरे पर भी अपना दांव खेल सकती है।

जजपा के लिए पहली बड़ी चुनौती है चुनाव
पार्टी गठन के बाद पहली बार सत्ता के इस सैमीफाइनल मैदान में उतरने जा रही जननायक जनता पार्टी के लिए भी यह चुनाव काफी अहम होगा। इस चुनाव में अपनों से टक्कर लेने के साथ-साथ दूसरे दलों की बड़ी चुनौती भी जजपा के सामने है। पार्टी नेतृत्व बड़ी गंभीरता से उम्मीदवार तय करने पर विचार कर रहा है। 

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