दुखी विधायकों के तारणहार बन रहे अनिल विज!

Edited By Isha, Updated: 01 Feb, 2020 11:26 AM

anil vij is becoming the savior of unhappy mlas

दुखी विधायकों के तारणहार बन रहे अनिल विज!जिन विधायकों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही वे गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में अपनी व्यथा बता व शिकायतें देकर विज के लिए धर्म संकट पैदा कर रहे हैं

चंडीगढ़(धरणी)- दुखी विधायकों के तारणहार बन रहे अनिल विज!जिन विधायकों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही वे गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में अपनी व्यथा बता व शिकायतें देकर विज के लिए धर्म संकट पैदा कर रहे हैं। अब विज भी क्या करें, मंत्री पद व संविधान की ली शपथ निभाते हुए अपने कई मित्रों की नाराजगी के शिकार हो रहे हैं। ये परेशान विधायक शिकायतें भी ऐसे लोगों के खिलाफ ला रहे हैं जो भाजपा व उनके अपने हैं। विज विधायकों के मान-सम्मान, रक्षा व सुरक्षा की खुली वकालत करने के कारण केंद्र ङ्क्षबदु बनते जा रहे हैं।

प्रदेश में भाजपा के गठबंधन में शामिल जजपा व निर्दलीय विधायकों में उभर रहे असंतोष के समाधान हेतु सहयोग की सबसे बड़ी आशा की किरण गृह, निकाय व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से क्यों नजर आती है? यह यक्ष प्रश्न अधिकांश जगह गूंज रहा है। जजपा के असंतुष्ट विधायक रामकुमार गौतम, देवेन्द्र बबली जहां विज के दरबार में पहुंचे वहीं निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी शक्ति प्रदर्शन के बाद विज के दरबार में पहुंचे। इन दुखी विधायकों के तारणहार तो अनिल विज बने मगर साथ ही अपने साथियों की नाराजगी भी उन्हें इसलिए झेलनी पड़ती है क्योंकि उन्हें विधायकों की शिकायत पर मंत्री धर्म निभाते हुए जांच के आदेश देने पड़ते हैं।

राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो जजपा के दोनों विधायकों को पहले पार्टी के विधायक दल के नेता को अपनी बात कहनी चाहिए थी व उन्हें विश्वास में लेना चाहिए था। रामकुमार गौतम जो कि पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं, उन्हें पार्टी ने स्पष्टीकरण का नोटिस भी थमा रखा है, हरियाणा सचिवालय आते हैं तो ज्यादातर अनिल विज से गुफ्तगू करते देखे जाते हैं। देवेन्द्र बबली कहते हैं कि वह 5 बार से अधिक बार उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मिल चुके हैं। उनके हलके से भ्रष्ट अधिकारियों को राजनीतिक संरक्षण के कारण उनका तबादला आज तक नहीं हुआ है। वह उपमुख्यमंत्री से शीघ्र ही पुन: मिलेंगे। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने तो भ्रष्टाचार का मोर्चा भाजपा नेता व पूर्व राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर के खिलाफ खोल रखा है। वह भी इस अल्टीमेटम के साथ कि एक माह में अगर शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह सरकार को दिया समर्थन वापस ले लेंगे।

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