मुख्यमंत्री जी कुछ तो करो, भूल गए क्या ! ऑक्सीजन मांग रहा गुरुग्राम, अस्पताल में नहीं...

Edited By Manisha rana, Updated: 22 Apr, 2021 11:42 AM

chief minister do something have you forgotten gurugram seeking oxygen

हर गली, हर सैक्टर, हर मोहल्ले से एक ही आवाज मुख्यमंत्री मुझे, अस्पताल में बैड दिला दो, कहां गए स्वास्थ्य सुविधाएं देने और स्वस्थ रखने के वायदे, कोरोना के बढ़ते मामलों ने गुरुग्राम...

गुडग़ांव (गौरव तिवारी) : हर गली, हर सैक्टर, हर मोहल्ले से एक ही आवाज मुख्यमंत्री मुझे, अस्पताल में बैड दिला दो, कहां गए स्वास्थ्य सुविधाएं देने और स्वस्थ रखने के वायदे, कोरोना के बढ़ते मामलों ने गुरुग्राम के लोगों का जीना दूभर कर दिया है। मौजूदा हालत में शहर का कोई भी ऐसा सैक्टर, कोई भी ऐसी कॉलोनी, कोई भी ऐसा गांव नहीं बचा है जहां लोग कोरोना से संक्रमित न हों। गुरुग्राम हर वार्ड से एक ही डिमांड किसी अस्पताल में मेरा इलाज करा दो, हालात ऐसे बन गए हैं जैसे लगता है कि गुरुग्राम में स्वास्थ्य व्यवस्था एकदम ध्वस्त हो चुकी है। ऐसा लग रहा है जैसे शासन हो या प्रशासन, सबने मौजूदा स्थिति से अपना पल्ला झाड़ लिया हो। कोविड-19 का हर मरीज अब सिर्फ अपने को भगवान भरोसे मान रहा है। यहां ज्यादातर मरीजों को क्रोसीन व पैरासिटामोल की हिदायत मिल जा रही है।

क्रोसिन और पैरासिटामोल के भरोसे 10,000 से अधिक मरीज
गुरुग्राम में न तो कोई अस्पताल मरीजों की हालत पर तरस खा रहा है और न ही कोई मरीजों को कोई राय देने वाला है। यहां की मौजूदा स्थिति ऐसी है कि 10000 से अधिक कोविड-19 के एक्टिव मरीज सिर्फ क्रोसिन और पैरासिटामोल के भरोसे कोविड-19 से जंग लड़ रहे हैं। मरीजों को मालूम है कि अब उनका उपचार उन्हीं के हाथ है।

प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय नेता अब नहीं आ रहे काम
मौजूदा स्थिति में अस्पतालों में बैड की डिमांड इतनी अधिक है कि प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय नेताओं में विधायक हो या मंत्री हर कोई अपना पल्ला झाड़ चुका है। अधिकारियों ने तो नया तरकीब भी निकाल रखा है। सब कुछ ऑनलाइन है जनाब, चैक कर लो, जहां बैड खाली हो वहां प्रयास कर लो, ऐसा कुछ जवाब मिल रहा है यहां के मरीजों को या कहें उनके परिजनों को।

अस्पतालों में मरीजों को मिलता है जवाब, रहना हो रहो-जाना हो जाओ
बहुत से ऐसे मरीज और उनके परिजन हैं जो अस्पतालों में सही इलाज नहीं मिलने की शिकायत पर बताते हैं कि उन्हें अस्पताल प्रबंधन की ओर से जवाब मिल रहा है कि यहां जो स्थिति है वही है, आपको पसंद आए तो यहां रहो नहीं तो जाओ जहां जाना हो। दरअसल गुरुग्राम में पिछले 1 सप्ताह के दौरान बहुत से ऐसे छोटे-छोटे अस्पतालों ने भी कोविड-19 मरीजों की भर्ती शुरू कर दी है, जिन अस्पतालों के पास कोविड-19 के मरीजों से इलाज का ज्यादातर अनुभव नहीं है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि लोग मजबूरन उन अस्पतालों का भी रुख कर रहे हैं जिन अस्पतालों में उन्हें मालूम है कि ज्यादा सुविधा मिलने वाली नहीं है।

कोई बताएगा कैसे और कब सुधरेगी स्थिति
यहां हर मरीज का परिवार यही पूछ रहा है कि कोई तो बता दे कि कब सुधरेगी शहर की स्थिति? कब सुधरेगी यहां की आबोहवा? किसी भी अस्पताल में चले जाओ वहां मरीजों और उनके परिजनों की हालत देखते भी नहीं बनती। 
हर कोई यहां खून के आंसू रो रहा है। कारण बस एक ही है उसे न तो संतोषजनक जवाब मिल रहा और न ही इलाज मिल रहा है।

मरीजों से मांग रहे ऑक्सीजन सिलैंडर
गुरुग्राम के छोटे-छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलैंडर नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण अस्पताल प्रबंधन अब मरीजों से कहने लगे हैं कि अगर आपको ऑक्सीजन चाहिए तो उसकी व्यवस्था आप खुद करिए क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन सिलैंडर नहीं मिल रहे। गुरुग्राम में अधिकतर अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी बताई जा रही है।

क्या कहते हैं डॉक्टर
यहां के ज्यादातर डॉक्टर मीडिया के सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन बात करने पर इतना जरूर बताते हैं कि अगर ऑक्सीजन की व्यवस्था भी खुलकर हो जाए तो ज्यादातर मरीजों को राहत दी जा सकती है। स्थानीय डॉक्टर सरकार और प्रशासन से ऑक्सीजन की डिमांड पूरी करने की लगातार मांग कर रहे हैं।

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