मजदूर और गरीबों के हक के लिए संसद से सड़क तक लड़ेंगे– दीपेन्द्र हुड्डा

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 18 Dec, 2025 09:26 PM

we will fight for rights of poor from parliament to streets deepender

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा, सांसद जय प्रकाश जेपी, सांसद वरुण मुलाना, सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने एक संयुक्त पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मनरेगा योजना से महात्मा गांधी का नाम मिटाने का विरोध करते हुए मजदूर और गरीबों के हक के लिए संसद से सड़क तक लड़ने...

चंडीगढ़ : सांसद दीपेन्द्र हुड्डा, सांसद जय प्रकाश जेपी, सांसद वरुण मुलाना, सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने एक संयुक्त पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मनरेगा योजना से महात्मा गांधी का नाम मिटाने का विरोध करते हुए मजदूर और गरीबों के हक के लिए संसद से सड़क तक लड़ने का ऐलान किया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पूंजीपतियों द्वारा चलायी जा रही सरकार द्वारा मजदूरों के हकों को कुचलने नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि सांसद वरुण मुलाना ने जब संसद में मनरेगा कार्यों को लेकर सवाल पूछा तो उसके जवाब से चौंकाने वाली जानकारी मिली कि हरियाणा में 8 लाख से अधिक मनरेगा मज़दूर पंजीकृत व सक्रिय हैं, लेकिन 2024-25 में महज़ 2,191 परिवारों को ही 100 दिन का काम मिला।

यही नहीं, मनरेगा कानून के तहत तय बेरोज़गारी भत्ता, जो समय पर काम न मिलने पर दिया जाना चाहिए, पिछले पाँच वर्षों में हरियाणा के एक भी मज़दूर को नहीं दिया गया। हरियाणा सरकार के पास बेरोजगारी भत्ता देने तक का पैसा नहीं है। वीबी जी राम जी बिल पर संसद में विपक्ष की तरफ से सांसद जयप्रकाश जी ने सरकार से तीखे सवाल किए तो विपक्ष के सवालों का जवाब देने की बजाय संसद को ही स्थगित कर दिया। 

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि मनरेगा योजना से महात्मा गांधी जी का नाम हटाना भाजपा की असल कार्यशैली है। यह सरकार केवल नाम बदलने में विश्वास रखती है, काम में नहीं। भगवान् राम के नाम से कोई योजना लानी ही थी तो भाजपा सरकार को कोई नयी योजना लानी चाहिए थी। BJP सरकार द्वारा मनरेगा से महात्मा गांधी जी का नाम हटाने और योजना को खत्म करने की साजिश रचना, गरीब आदमी के साथ बड़ा विश्वासघात है। यह अस्वीकार्य है! 

सांसद जय प्रकाश जेपी ने कहा कि आज का दिन इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जायेगा।  वीबी जी राम जी बिल को को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की विपक्ष की मांग को सरकार ने तानाशाही रवैया दिखाते हुए अस्वीकार कर दिया। उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा को कमजोर करने का षडयंत्र कर रही है वो इसे खत्म कर देना चाहती है। जय प्रकाश ने मनरेगा योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने का कारण पूछते हुए कहा कि केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरे भाषण में विपक्ष के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। मनरेगा को खेती से जोड़ने की मांग का भी जवाब नहीं दिया। राज्यों से बिना पूछे उन पर वित्तीय बोझ डाल दिया, जबकि राज्यों की वित्तीय स्थिति पहले से ही खराब है। यही नहीं, संसद की स्टैंडिंग कमेटी की इस योजना में कार्यदिवसों को 100 से 150 दिन करने की मांग को भी नहीं माना। न मजदूरी बढ़ायी न समय बढ़ाया। और तो और खेती के मौसम के दौरान योजना का कियान्वयन भी प्रतिबंध कर दिया, जो मजदूरों के साथ बड़ा धोखा है। जिन मनरेगा श्रमिकों को रोजगार नहीं मिला, उनमें से कितनों को बेरोजगारी भत्ता दिया गया इसका सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। उलटे सरकार मनरेगा का पैसा अन्य योजनाओं में लगाने की बात कर रही है। 

सांसद वरुण चौधरी ने कहा कि उनके द्वारा लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जो जवाब दिया उससे सरकार की पोल खुल गई। केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट को भी काट दिया। हरियाणा को 2020-21 में 764 करोड़ रुपये दिए लेकिन 2024-25 में इसे घटाकर घटकर 590 करोड़ कर दिया। सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। सांसद वरुण मुलाना ने कहा भाजपा सरकार गरीब, किसान, ग्राम विरोधी है, इसलिये कांग्रेस पार्टी गांधी जी की सोच के विपरीत बन रहे इस कानून का विरोध कर रही है। वीबी जी राम जी योजना में 100 से 125 दिन करने की बात सबसे बड़ा और नया जुमला है पहले मनरेगा श्रमिकों का पूरा वेतन केंद्र सरकार देती थी अब 60 प्रतिशत केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार को देना होगा। राज्यों से कोई सहमति नहीं ली गयी इसे थोप दिया गया। जो संघीय ढांचे के खिलाफ है। किसी भी राज्य का वित्तीय प्रबंधन देखें तो कर्जा बढ़ता जा रहा है। राज्यों के पास पैसा कहां से आयेगा। केंद्र प्रायोजित योजना से केंद्र नियंत्रित योजना बना दी गयी है। मनरेगा में पहले सभी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा लागू था लेकिन अब केवल अधिसूचित इलाके में मजदूरों को काम मिलेगा।

उन्होंने कहा कि नाम बदलकर लाई इस योजना में बजट आवंटन का निर्धारण भी केंद्र सरकार करेगी। जबकि पहले यह मांग आधारित योजना थी। जब केंद्र सरकार पहले ही फैसला कर लेगी कि इतना ही पैसा देना है तो उसके आगे पूरा भार राज्यों पर पड़ेगा। वीबी जी राम जी योजना को कृषि क्षेत्र के साथ जोड़ा जाना चाहिए लेकिन सरकार ने ब्लैक आउट पीरियड कर दिया जब इसके तहत काम नहीं मिलेगा। 

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