Panchkula में अवैध खनन पर आयोग का सख्त रुख: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार... दिए ये कड़े निर्देश

Edited By Isha, Updated: 18 Dec, 2025 04:01 PM

commission takes strict stance on illegal mining in panchkula

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने पंचकूला में अवैध खनन एवं उससे जुड़ी गंभीर पर्यावरणीय अनियमितताओं पर कड़ा संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने पंचकूला में अवैध खनन एवं उससे जुड़ी गंभीर पर्यावरणीय अनियमितताओं पर कड़ा संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि आम नागरिकों के स्वास्थ्य, जीवन एवं मानव अधिकारों का भी सीधा उल्लंघन है।

पिंजौर–नालागढ़ रोड, मल्लाह रोड, रायपुर रानी, मोरनी, बरवाला एवं चंडीमंदिर क्षेत्रों में चल रही अवैध खनन गतिविधियों को लेकर प्राप्त रिपोर्ट की गहन समीक्षा के बाद हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा तथा दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया को मिलाकर बने पूर्ण आयोग ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया। आयोग ने पाया कि स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, ईंट भट्टों एवं खनन इकाइयों में अनिवार्य पर्यावरणीय मानकों का व्यापक स्तर पर उल्लंघन हो रहा है। आयोग इस रिपोर्ट से पूर्णतः असंतुष्ट है।

आयोग के दिनांक 19 अगस्त 25 के आदेश के अनुपालन में, क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पंचकूला क्षेत्र से दिनांक 12 नवंबर 25 की विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्राप्त हुई है| दिनांक 12 नवंबर की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले  पूर्ण आयोग ने अपने आदेश में लिखा है कि आयोग के बार-बार दिए गए निर्देशों के बावजूद, क्षेत्रीय अधिकारी, HSPCB, पंचकूला द्वारा नियमित यादृच्छिक भ्रमण, औचक निरीक्षण एवं सतत निगरानी नहीं की गई। आयोग ने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि अनेक इकाइयों में अनिवार्य दोहरी हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) विकसित नहीं की गई है, जो धूल एवं प्रदूषण को रोकने का प्राथमिक सुरक्षा उपाय है। इसके अतिरिक्त जल छिड़काव प्रणाली, स्मॉग गन, विंड-ब्रेकिंग वॉल, पुनर्चक्रण टैंक, पक्की आंतरिक सड़कें तथा परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली जैसी आवश्यक व्यवस्थाओं का अभाव भी पाया गया।

आयोग के सामने प्रस्तुत रिपोर्ट से यह भी पाया गया कि पुनर्चक्रण टैंकों का रखरखाव नहीं, अपशिष्ट जल निस्तारण हेतु लॉग बुक का अभाव, पर्याप्त बैरिकेडिंग नहीं, वाहन रैंप का अभाव, विंड-ब्रेकिंग वॉल्स, जल छिड़काव प्रणाली, स्मॉग गन, पक्की सड़कें, परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन की कमी तथा बिना उपचारित अपशिष्ट जल का निर्वहन जैसी गंभीर कमियाँ मौजूद हैं। निरीक्षण प्रायः कारण बताओ नोटिस के बाद ही किए गए। 

जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग ने क्षेत्रीय अधिकारी को निम्न निर्देश दिया है: 

  •  वह सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का कड़ाई से एवं समान रूप से प्रवर्तन सुनिश्चित करे| 
  •  प्रत्येक इकाई का कम से कम प्रत्येक 30 दिन में एक बार बिना सूचना के निरीक्षण करे।
  • जब तक अनिवार्य शर्तों—जैसे चारों ओर 8–10 फीट ऊँचे वृक्षों का रोपण (रेंज वन अधिकारी से प्रमाणित), बैरिकेडिंग, पुनर्चक्रण टैंक, जल छिड़काव, विंड-ब्रेकिंग वॉल, स्मॉग गन, हरित पट्टी आदि—का पूर्ण अनुपालन न हो, तब तक CTE/CTO प्रदान या नवीनीकरण न किया जाए।
  • उपरोक्त निर्देशों पर कार्रवाई की नवीनतम रिपोर्ट अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पूर्व आयोग के सामने प्रस्तुत करें।

आयोग असिस्टेंट रजिस्ट्रार पुनीत अरोड़ा ने बताया कि उपलब्ध तथ्यों और गंभीर आरोपों को देखते हुए, हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने आदेश दिया है कि वन एवं वन्यजीव विभाग, खान एवं भूविज्ञान विभाग, हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो एवं पुलिस आयुक्त, पंचकूला को भी अपनी विस्तृत रिपोर्ट अगली सुनवाई की तिथि अर्थात् 26.02.2026 से पूर्व आयोग के सामने प्रस्तुत करनी है।

 

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