Edited By Shivam, Updated: 07 Jan, 2019 09:39 PM
मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरियों और उच्चा शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से हरियाणा में भाजपा को कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। इसका सबूत सबसे जींद उपचुनाव में देखने को...
डेस्क: मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरियों और उच्चा शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से हरियाणा में भाजपा को कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। इसका सबूत सबसे जींद उपचुनाव में देखने को मिलेगा। अप्रैल मई में होने लोक सभा और कुछ महीनों बाद विधान सभा चुनावों में भाजपा के लिए मोदी सरकार का यह फैसला गले की फांस बन सकता है।
मोदी सरकार द्वारा सवर्णों को आरक्षण देने के बाद हरियाणा में जाट भी अपने लिए आरक्षण की मांग का मुद्दा उठा सकते हैं। जाटों ने पिछले समय आरक्षण की मांग को लेकर जमकर उत्पात मचाया था। जाट इस मुद्दे पर भाजपा को खुली चुनौती देने की रणनीति बना सकते हैं, जिसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को तैयार रहना होगा। हरियाणा जाट बाहुल्य राज्य है, यहां जाट समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर काफी सक्रिय रहे हैं।
तीन साल पहले हरियाणा में हुए वीभत्स जाट आंदोलन के आगे भाजपा सरकार ने घुटने टेक दिए थे। जिसके जाट समेत 6 जातियों (जाट, रोर, जट्ट सिख, बिश्नोई, मूला जाट, त्यागी) को नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले लिया, जिसपर पर पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। जींद चुनाव के चलते अब जाटों के हाथ एक और मौका आ गया है, 28 जनवरी को जींद में उपचुनाव होने हैं, उससे पहले जाट आंदोलन को एक बार फिर छेड़ सकते हैं।
मोदी कैबिनेट ने सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस आरक्षण का लाभ ब्राह्मण, राजपूत और अन्य स्वर्ण जातियों को मिलेगा, जिसमें सरकारी नौकरियों में आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा। इसके अंतर्गत 8 लाख सालाना आमदनी और 5 एकड़ से कम जमीन वालों को ही लाभ मिलेगा, जिनके पास सरकारी जमीन पर अपना मकान होगा, उन्हें नहीं आरक्षण मिलेगा।