Edited By Saurabh Pal, Updated: 05 Aug, 2024 09:38 PM
हरियाणा के अस्पतालों में अब मरीजों की जान सुरक्षित नहीं है। आए दिन डॉक्टरों की लापरवाही की खबर आ रही है। ताजा मामला रेवाड़ी शहर के एक निजी अस्पताल का है, जहां डॉक्टर ने महिला की दाईं किडनी के स्थान बाईं किडनी का ऑपरेशन कर दिया।
रेवाड़ी(महेंद्र भारती): हरियाणा के अस्पतालों में अब मरीजों की जान सुरक्षित नहीं है। आए दिन डॉक्टरों की लापरवाही की खबर आ रही है। ताजा मामला रेवाड़ी शहर के एक निजी अस्पताल का है, जहां डॉक्टर ने महिला की दाईं किडनी के स्थान बाईं किडनी का ऑपरेशन कर दिया। डॉक्टर ने पहले तो अपनी गलती ही मानने से इंकार कर दिया, लेकिन जब ऑपरेशन के कागजात व रिपोर्ट उसकी गलती के गवाह बने तो डॉक्टर ने दूसरी किडनी का फ्री ऑपरेशन करने का ऑफर दे दिया।
हालांकि इस लापरवाही से आक्रोशित परिजनों ने ऑफर को ठुकराकर कानूनी लड़ाई लडऩे का फैसला लिया। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद अस्पताल व डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। जानकारी के अनुसार गुरुग्राम के राठीवास के अजय कुमार राठी की पत्नी गुड्डी के पेट में जब दर्द उठा तो वह 13 फरवरी को रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा। जहां डाक्टरों ने उसका अल्ट्रासाउंड किया। रिपोर्ट में दाईं किडनी में पत्थरी (स्टोन) बताई गई। निजी अस्पताल ने उन्हें इसके उपचार के लिए नागरिक अस्पताल के निकट विख्यात प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह दी।
अजय का कहना है कि वह बताए अस्पताल पहुंचा और पत्नी को उपचार के लिए भर्ती करा दिया। वहां मौजूद डॉक्टर डॉ. अशोक गुप्ता ने अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखकर एक्स-रे किया और तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी। देर शाम को डॉ. गुप्ता ने पत्थरी का ऑपरेशन कर दिया। अजय का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद दवा देने में भी चूक की गई। उसने जब सुबह इसकी शिकायत डॉक्टर से की तो उन्होंने माना कि दवा देना भूल गए। दो दिन बाद उसकी पत्नी को डिस्चार्ज कर दिया गया और 5-6 दिन बाद आकर चेकअप कराने के लिए कहा गया।
अजय आगे बताते हैं कि जब घर पहुंचकर उन्होंने डिस्चार्ज समरी देखी तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। समरी में दाईं के स्थान बाईं ओर की किडनी का ऑपरेशन होना दर्शाया गया था। उन्होंने तुरंत फोन पर अस्पताल से संपर्क साधा और बाईं ओर की किडनी की ऑपरेशन की बात कही। अस्पताल स्टॉफ ने कहा कि शायद समरी रिपोर्ट गलत बन गई होगी। डॉक्टर से आकर पुन: मिल लो। वह अस्पताल पहुंचा और उसकी पत्नी का पुन: अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे व सीटी स्कैन किया गया। जिसकी उन्होंने हमें कोई रिपोर्ट नहीं दी और कहा कि सब ठीक है, सिर्फ स्टंट बाईं तरफ डाला हुआ है। इसके बारे में वे ऑपरेशनकर्ता डॉ. अशोक गुप्ता से मिल सकते हैं। 23 फरवरी को डॉ. अशोक से मिलवाया गया। उन्होंने कहा कि हमसे कोई गलती नहीं हुई है और ऑपरेशन सही है। अजय ने सवाल किया कि जब बाईं किडनी में कोई परेशानी ही नहीं थी तो ऑपरेशन किस चीज का किया गया है।
जब डॉक्टर बातों में उलझने लगे तो उन्हें समझ आया कि गलती हुई हैऔर वह किसी मुसीबत में फंस सकता है। इसके बाद उसने दाईं किडनी का फ्री ऑपरेशन करने का ऑफर दिया। इसके साथ ही कहा कि पत्नी को अस्पताल में पुन: एडमिट कर दो, उसका स्टंट और पत्थरी दोनों निकाल देंगे। अजय ने कहा कि उसने डाक्टर के ऑफर को ठुकराकर उन्हें सबक सिखाने का निर्णय लिया। ताकि भविष्य में अन्य मरीजों के जीवन के साथ इस तरह का खिलवाड़ न हो। तत्पश्चात उसने पत्नी को एक अन्य प्राइवेट अस्पताल भर्ती कराकर दाई किडनी के स्टोन का ऑपरेशन कराया।
अजय ने कहा कि उसने अपने वकीलों से बातचीत करने के बाद नगर के सिटी थाने में डॉक्टर व अस्पताल के खिलाफ शिकायत दी है। जांचकर्ता अधिकारी नरेश कुमार ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद इसकी जांच हेतु नागरिक अस्पताल से संपर्क किया गया। मेडिकल नेगलीजेन्सी बोर्ड ने जांच में पाया कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण दाई के स्थान पर बाईं किडनी का ऑपरेशन किया गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद शनिवार को अस्पताल व संबंधित डाक्टर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
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